" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
Pt Deepak Dubey

Chaitra Navratri/ Navratri 2015/ नवरात्री 2015/ चैत्र नवरात्र/ चैत्र नवरात्री

इस वर्ष चैत्र नवरात्र/नवरात्री 21 मार्च 2015 से प्रारंभ हो रहा है और इसका समापन 28 मार्च 2015 को हो रहा है .

vishvwshwari

 

नवरात्री में माँ भगवती के सभी 9 रूपों की पूजा भिन्न – भिन्न दिन की जाती है , इस बार नवरात्री 8 दिनों का ही हो रहा है , अतः आइये देखते हैं  इन 8 दिनों में किसकी और कब पूजा की जानी चाहिए 

 21 मार्च ,2015 : घट स्थापन एवं  माँ शैलपुत्री 

 22 मार्च ,2015 : माँ ब्रह्मचारिणी 

 23 मार्च ,2015 : माँ चंद्रघंटा एवं माँ कुष्मांडा 

 24 मार्च ,2015 : माँ स्कंदमाता  

 25 मार्च ,2015 : माँ कात्यायनी 

 26 मार्च ,2015 : माँ कालरात्रि  

 27 मार्च ,2015: माँ महागौरी 

 28 मार्च ,2015 : माँ सिद्धिदात्री 

नवरात्रों में माँ भगवती की आराधना दुर्गा सप्तसती से की जाती है , परन्तु यदि समयाभाव है तो भगवान् शिव रचित सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ अत्यंत ही प्रभाव शाली एवं दुर्गा सप्तसती का सम्पूर्ण फल प्रदान करने वाला है , यह श्लोक इस प्रकार है  –

 सप्तश्लोकी दुर्गा (सप्तशती)

विनियोग 

ॐ अस्य श्री दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्र मंत्रस्य, नारायण ऋषि: अनुष्टुप् छ्न्द:

श्री महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वत्यो देवता: श्री दुर्गा प्रीत्यर्थे सप्तश्लोकी दुर्गा पाठे विनियोग: ।

श्लोक 

ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ।।१।।

दुर्गे स्मृता हरसिभीतिमशेष जन्तो:
स्वस्थै: स्मृता मति मतीव शुभां ददासि
दारिद्र्य दु:ख भय हारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकार करणाय सदार्द्र चित्ता ।।२।।

सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते ।।३।।

शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे
सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽस्तुते ।।४।।

सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्व शक्ति समन्विते
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तुते ।।५।।

रोगान शेषा नपहंसि तुष्टा
रुष्टा तु कामान् सकलान भीष्टान् ।
त्वामाश्रितानां न विपन् नराणां
त्वामाश्रिता ह्या श्रयतां प्रयान्ति ।।६।।

सर्वा बाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि
एकमेव त्वया कार्यमस्मद् वैरि विनाशनं ।।७।।

इति सप्तश्लोकी दुर्गास्तोत्र सम्पूर्णा ।।

जय माँ भगवती !

शिव उपासक एवं ज्योतिषविद 

पं. दीपक दूबे  <View Profile>


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