Amalki Ekadashi Vrat/आमलकी एकादशी व्रत
फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है. आमलकी का अर्थ आंवला होता है. इस एकादशी का महत्व अक्षय नवमी के समान है। जिस प्रकार अक्षय नवमी में आंवले के वृक्ष की पूजा होती है उसी प्रकार आमलकी एकादशी के दिन आंवले की वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की पूजा की जाति है. पुराणों के अनुसार आमलकी एकादशी व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।आमलकी एकादशी के विषय में कई पुराणों में वर्णन मिलता है। अमालकी एकादशी के दिन आंवले की पूजा का महत्व इसलिए है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इसी दिन सृष्टि के आरंभ में आंवले के वृक्ष की उत्पत्ति हुई थी।
विधि : अमालकी एकादशी के दिन प्रातः स्नानादि से निवृत होकर भगवान विष्णु एवं आंवले के वृक्ष की पूजा का विधान है. प्रसाद के रूप में भी आंवले को विष्णु भगवान् को चढ़ाया जाता है. घी का दीपक जलकार विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। जो लोग व्रत नहीं करते हैं वह भी इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु को आंवला अर्पित करें और स्वयं भी प्रसाद के रूप में खाएं.
सागार: इस दिन आंवलों का सागार लेना चाहिए.
फल: शास्त्रों के अनुसार आमलकी एकादशी के दिन आंवले का सेवन सभी प्रकार के पाप को नष्ट करता है.