" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
Pt Deepak Dubey

 गायत्री मंत्र

शास्त्रों में मंत्रों की शक्ति को सर्वश्रेष्ठ  कहा गया गया। हालांकि मंत्रों की शक्ति को अब विज्ञान भी मानने लगा है। इस समय कई वैज्ञानिक मंत्रों की शंक्तियों पर खोज कर रहा है। हालांकि शास्त्रों में मंत्रों की शक्तियों का पहले से ही वर्णन देखने को मिलता है। शास्त्रों के अनुसार मंत्रों में अपार ऊर्जा भरी हुई है। सही प्रकार से मंत्रों के उच्चारण से कई असाध्य कामों को भी किया जा सकता है। कहा जाता है कि कल युग में मंत्रों की शक्तियों का दुरूपयोग  न हो इस लिए  भगवान ने इन मंत्रों को कील रखा है जिससे हर व्यक्ति इन मंत्रों की शक्तियों को न हालिस कर पाए। लेकिन फिर भी अनेक स्थानों पर पीलिया, सांप या बिच्छु काटने का इलाज मंत्रों के माध्यम से किया जाता है। जिससे हजारों लोग सही भी होते हैं। वहीं मंत्रों की शक्ति तथा इनका महत्व ज्योतिष में वर्णित सभी रत्नों एवम उपायों से अधिक है। मंत्रों के माध्यम से ऐसे बहुत से दोष बहुत हद तक नियंत्रित किए जा सकते हैं जो रत्नों तथा अन्य उपायों के द्वारा ठीक नहीं किए जा सकते।
मंत्र जपने के नियम
१. मंत्र जाप के द्वारा सर्वोत्तम फल प्राप्ति के लिए मंत्रों का जाप नियमित रूप से तथा अनुशासनपूर्वक करना चाहिए।
२. वेद मंत्रों का जाप केवल उन्हीं लोगों को करना चाहिए जो पूर्ण शुद्धता एवम स्वच्छता का पालन कर सकते हैं।
३. किसी भी मंत्र का जाप प्रतिदिन कम से कम 108 बार जरूर करना चाहिए।
गायत्री मंत्र जाप करने का शुभ समय
गायत्री मंत्र जाप करने का सबसे अच्छा समय सुबह होता है। सूर्योदय से थोड़ी देर पहले मंत्र का जाप करने चाहिए। जाप सूर्योदय के बाद तक करना चाहिए। मंत्र का जाप तेज आवाज में नहीं करना चाहिए।
मंत्र विशेष प्रकार के शब्दों की संरचना होती है जिनको विधिपूर्वक जाप करने से सृष्टी की उपलब्धियों प्राप्त हो सकती है। कहा जात है सिद्ध मंत्रों के जाप से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मंत्र वास्तव में दो शब्दों के ही होते हैं, जिनका श्वास-प्रश्वास पर जाप किया जा सके। बाकी जिनको हम मंत्र समझते हैं वो या तो ऋचाएं हैं या श्लोक, बीज मंत्र के साथ प्रयोग करने पर ऋचाएं और श्लोक भी लाभकारी होते हैं। मंत्र दो तरह के होते है, एक मंत्र वो हैं जिनका कोई भी जाप कर सकता है, दूसरे वो मंत्र है जो केवल व्यक्ति विशेष के लिए होते हैं।
गायत्री मंत्र
ऊँ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। 
धियो यो न: प्रचोदयात्।
गायत्री मंत्र का अर्थ
सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परामात्मा के तेज का हम ध्यान करते है, परमात्मा का वह तेज हमारी बुद्धि को सद्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें।
गायत्री मंत्र जाप करने का सही समय
1. गायत्री मंत्र जाप करने का सबसे अच्छा समय सुबह होता है। सूर्योदय से थोड़ी देर पहले मंत्र का जाप करने चाहिए। जाप सूर्योदय के बाद तक करना चाहिए।
2. गायत्री मंत्र जाप के लिए दूसरा शुभ समय दोपहर और तीसरा समय शाम को सूर्यास्त से कुछ देर पहले का माना जाता है। । सूर्यास्त से पहले मंत्र जाप शुरू करके सूर्यास्त के कुछ देर बाद तक जाप करना चाहिए।
3. यदि संध्याकाल के अलावा गायत्री मंत्र का जाप करते हैं तो मौन रहकर या मानसिक रूप से करना चाहिए। मंत्र का जाप तेज आवाज में नहीं करना चाहिए।
मंत्र जाप के लाभ 
इस मंत्र का जाप करने से मन में उत्साह और सकारात्मकता बढ़ती है। माना जाता है इसके जाप से मन से बुराइयों का अंत होता है। क्रोध शांत होता है। ज्ञान में वृद्धि होती है। सिद्धि प्राप्त होती है तथा आपके व्यक्तिव में तेज उत्पन्न होता है.

पं धीरेन्द्र नाथ दीक्षित 

Astrotips Team


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