जीविकोपार्जन के लिए या तो व्यक्ति कोई व्यापार व्यवसाय करता है अथवा नौकरी करता है, और नौकरी पाने के लिए साक्षात्कार या इंटरव्यू देना पड़ता है।
एक जमाना था जब मिडिल या हाई स्कूल पास कर लेने वाले व्यक्ति को सहजता से नौकरी मिल जाती थी। कोई न कोई रिश्तेदार या अपना व्यक्ति उन्हें कहीं न कहीं व्यवस्थित करवा ही देता था लेकिन अब वह समय नहीं रहा कि आप कुछ पढ़ लिख गए हैं तो कोई परिचित अथवा रिश्तेदार जो कि पहले से कहीं नौकरी कर रहा होगा वहा कर कहेगा कि कल अमुक दफ्तर या फैक्ट्री में काम पर आ जाना। अथवा आप स्नातक उपाधि धारी हैं यानी कि बी.ए., बी.एससी. जैसी डिग्री आपके पास है तो आपको आसानी से नौकरी मिल जाएगी। अपने ऐसे कई किस्से सुने होंगे कि किसी के पिताजी ने हाई स्कूल पास की और दो-चार दिनों में ही किसी रिश्तेदार के द्वारा उसे कहीं न कहीं व्यवस्थित करवा दिया गया था लेकिन आजकल स्नातक क्या परास्नातक उत्तीर्ण लोगों के लिए भी नौकरी पाना बड़ा कठिन हो गया है। इसके कारण अनेक हो सकते हैं; जैसे कि प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में छात्रों का विभिन्न प्रकार की उपलब्धियां लेकर विश्वविद्यालयों से बाहर निकलना, वर्ष दर वर्ष योग्यता का ग्राफ बढ़ते जाना, लिखित आदि कंपटीटिव एग्याम्स की सीढ़ियों का बढ़ते जाना, आदि आदि।
इसी क्रम की अंतिम सीढ़ी है इंटरव्यू यानी कि साक्षात्कार। यहां तक पहुंचना आज की तारीख में काफी कठिन हो गया है और यदि किसी तरीके से यहां तक पहुंच भी जाए तो इस सीढ़ी पर भी अच्छा खासा कंपटीशन देखने को मिलता है। अगर इस पोजीशन में पहुंचने के बाद दौड़ में पिछड़ जाएं तो नौकरी नहीं मिल पाती। क्योंकि इंटरव्यू में उन गुणों को परखा जाता है जो किताबी ज्ञान में नहीं मिलते। आजकल हर कंपनी का मालिक या व्यवस्थापक यही चाहता है कि वह ऐसी व्यक्ति को अपने यहां नियुक्त करे जो न केवल पढ़ाई लिखाई में अव्वल हो बल्कि नैतिकता, ईमानदारी और जिम्मेदारी जैसे गुण भी उसमें पर्याप्त मात्रा में हो। इसलिए यदि आप साक्षात्कार का चक्रव्यूज भेदन करना चाहते हैं तो कुछ बातें हम आपके समक्ष रखेंगे जो प्रैक्टिकली तो जरूरी हैं ही उनका कोई न कोई एस्ट्रोलॉजिकल सेंस भी होता है। अब हम साक्षात्कार से जुड़े अनेक बिंदुओं की चर्चा आप से करेंगे और उन्हें ज्योतिष के चश्मे से देख कर आपके सामने विश्लेषित करेंगे। इस खंड में हम केवल दो बिन्दुओं की चर्चा कर सकेंगे क्योंकि हम नहीं चाहते कि लेख बड़ा हो और आपकी रुचि इसके प्रति कम हो जाय।
जब आप सूचना को किसी कागज में नोट करते हैं तो आपके इस कार्य से बुध सकारात्मक परिणाम देने वाला हो जाता है। ऐसी स्थिति में विशेष ध्यान इस बात का रखना होता है कि जब आप इस बात को कहीं नोट कर रहे हों तो नीले रंग अथवा लाल रंग के पेन का प्रयोग करें। नीले रंग को वरीयता दें, वहीं लाल रंग को सेकेंडरी ऑप्शन के रूप में रखें। ऐसा करते समय काले रंग से बचें। नीला रंग शनि को प्रिय रंग है भले ही शनि का रंग काला माना गया है लेकिन उन्हें नीला रंग अधिक पसंद है ऐसे में जब आप नीले रंग से घेरा लगाते हैं या नीले रंग से नोट करते हैं तो संबंधित विषय वस्तु में स्थायित्व का भाव जागृत होता है यानी कागज में नोट करने से बुध और नीले रंग से लिखने से या घेरा लगाने से शनि का प्रभाव मजबूत होता है। यानी आपके स्वभाव में स्थिरता आती है। आपकी बुद्धि, चीजों को समझने की आपकी क्षमता, आपकी हाजिर जवाबी जैसी बातें बुध के अधिपत्य में आती हैं। बुध की अनुकूलता से इन विषय वस्तुओं में अनुकूलता मिलती है और शनि के प्रभाव से स्वभाव में स्थिरता आती है। स्वभाव की हड़बड़ाहट या जल्दबाजी जो कि साक्षात्कार के लिए नकारात्मक बिंदु है उसमें स्थायित्व का भाव आने से चीजें सकारात्मक होती है। अतः कॉल लेटर की जानकारी को नोट करना चाहिए अथवा कहीं चिन्हित करना चाहिए।
तिथि समय इत्यादि को लेकर बात करें तो अगर संभव हो तो अपने लिए अनुकूल तिथि या दिन का चयन करें, ऐसा तब होता है जब साक्षात्कार एक से अधिक दिनों तक चले और आपके पास यह विकल्प हो कि आप 2 या 3 दिनों में से किसी भी दिन आ सकते हैं। लेकिन अगर ऐसा विकल्प आपके पास नहीं है तो ऐसे में आपको उस समय विशेष का चयन करना चाहिए जब आपके लिए अनुकूल ग्रह की “होरा” हो। होरा की जानकारी आप किसी पंचांग के जानकार से ले सकते हैं। आजकल इंटरनेट इत्यादि पर भी ऐसी जानकारियां सहज उपलब्ध है, अतः वहां से भी जानकारी ली जा सकती है।
यदि साक्षात्कार किसी दूसरे शहर में हो तो वहां भी कुछ समय पूर्व पहुंचकर उस जगह की जांच परख करना, नौकरी से संबंधित तीनों कारक ग्रह को प्रसन्न करने का कार्य होगा। यानी यदि आप समय से पहले पहुंचते हैं, व्यवस्थित ढंग से पहुंचते हैं तो निश्चित है कि सूर्य, बुध और शनि तीनों ग्रहों की प्रसन्नता और आशिर्वाद का फल आपको मिलेगा परिणाम स्वरूप आपका साक्षात्कार बढ़िया जाएगा।
॥शुभं॥
पं. हनुमान मिश्रा