" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
Pt Deepak Dubey

लग्न में केतु का प्रभाव 

केतु को मोक्ष एवं मुक्ति का द्वार माना गया है. केतु प्रारब्ध के प्रभाव को मिटाने का मार्ग दिखता है. आध्यात्मिक प्रगति के लिए केतु महत्वपूर्ण योगदान देता है. लग्नस्थ केतु जातक को रोगी और लोभी दोनो ही बनाता है. ऐसे जातकों को सदा दुष्ट व्यक्तियों से भय व् चिंता सताती रहती है. शुभ ग्रहों की दृष्टि होने से लग्नस्थ केतु राजसी सुख एवं वैभव प्रदान करता है.

शनि की राशि में केतु जातक को धन एवं संतान का सुख देता है. लग्नस्थ केतु जातक के स्वभाव में छल कपट दे ही देता है. ऐसा जातक दिखावे के लिए महा पुरुष और आडम्बर युक्त होता है परन्तु वास्तव में उसकी प्रवृत्ति दुराचारी व् अधार्मिक स्वभाव का होती है.

लग्नस्थ केतु जातक को भ्रमण प्रिय बनात है. पारिवारिक सुख में कमी के कारण सदा उसको चिंता बनी रहती है. लग्न में केतु जातक को थोडा वहमी भी बनाता है. किसी मामूली रोग होने पर भी जातक किसी भयंकर रोग की दवाइयां नियमित सेवन करने लगता है.

केतु के लग्न में होने के कारण जातक को प्रायः मति भ्रम, पित्त व् गठिया रोग होते है. नेत्र व् चेहरे के रोग की भी संभावना रहती है.

जीवन साथी और संतान से कष्ट तथा सम्बन्धियों से भी कष्ट एवं चिंता बनी रहती है परन्तु शनि की राशि में केतु जातक को धन एवं संतान का सुख देता है . लग्नस्थ केतु के जातक के जीवन से निराश , हताश एवं दुखी होते हैं. व्यक्तित्व बेहद सामान्य होता है तथा  प्रायः सत्य नहीं बोलते . लग्न में स्थित केतु जीवन साथी से वियोग करता है तथा स्थाई नौकरी से वंचित रहता है.

लग्नस्थ केतु के जातक सम्भोग से भयभीत या सम्भोग सुख से वंचित होते हैं.  अन्य ग्रहों की स्थिति के कारण कभी कभी जातक की आयु कम भी होती है या ननिहाल पक्ष से वैर मिलता है. धोखा षड्यंत्र लग्न्स्थ केतु के जातकों के जीवन का हिस्सा है.

शनि का केतु जातक को धन, वैभव, संपती व् पुत्र का सुख देता है.


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