" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
Pt Deepak Dubey

श्रवण नक्षत्र/ Shravan Nakshtra

नक्षत्र देवता: विष्णु

नक्षत्र स्वामी: चन्द्र

Shravan-Nakshtra

गुण एवं स्वभाव 

यदि आपका जन्म श्रवण नक्षत्र में हुआ है तो आप एक माध्यम कद काठी परन्तु प्रभावी और आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी है. बचपन से ही सीखने की लालसा होने के कारण आप आजीवन ज्ञान प्राप्त करते हैं और समाज के बुद्धिजीवियों में आप की गिनती होती है. आप एक स्थिर सोच वाले  निश्छल और पवित्र व्यक्ति है. मानवता ही  आपकी प्राथमिकता है और आपका दृष्टिकोण सदा ही सकारात्मक रहता है. आप दूसरों के प्रति बहुत अधिक स्नेह की भावना रखते हैं इसलिए औरों से भी उतना ही स्नेह व सम्मान प्राप्त करते हैं. श्रवण नक्षत्र के जातक एक अच्छे वक्ता होते हैं. एकान्तप्रिय होते हुए भी आपके मित्र अधिक होते हैं. आपके शत्रुओं की संख्या भी कुछ कम नहीं होती परन्तु अंत में शत्रुओं पर विजय आपकी ही होती हैं.

आप एक इमानदार और सच्चाई के रास्ते पर चलने वालों में से हैं. झूठ और कपट न तो आपको आता है और न ही जीवन में कभी आप इसका सहारा लेते हैं. आप अपने जीवन में कई बार दूसरों द्वारा किये गये धोखे का शिकार होते हैं फिर भी आप अपने आदर्शों पर ही चलना पसंद करते हैं.

आप बहुत मृदुभाषी और कोमल हृदयी व्यक्ति हैं और अपनी हर चीज़ सुव्यवस्थित और साफ़ ही पसंद करते है. गन्दगी और अवव्स्था के कारण ही आपको बहुत अधिक क्रोध आ जाता है और आप अपने मूल स्वभाव को भी भूल जाते हैं.

आप दिखने में सीधे-सादे परन्तु आकर्षक व्यक्ति हैं. आप प्राकृतिक रूप से सुंदर होते हैं. आप अपना सारा जीवन ज्ञान प्राप्ति में ही व्यतीत करते  हैं अतः आप एक अच्छे सलाहकार होते हैं. किसी भी विवाद या समस्या को न्यायिक दृष्टि से देखने की क्षमता आपमें होती है. जीवन में अनेक समस्याओं से जूझते हुए और अपना दायित्व निभाते हुए आप आगे बढ़ते हैं और संतुलित और संतुष्ट जीवन व्यतीत करते हैं.

श्रवण नक्षत्र के जातक अधिक ज्ञान अर्जन के कारण अपने जीवन में करियर के चुनाव में परेशानी नहीं झेलते हैं . 30 वर्ष तक कुछ उथल पुथल सहते हुए 45वें वर्ष तक अपने कार्यक्षेत्र में चमकने लगते हैं. 65 वर्ष के बाद भी यदि कार्यरत हों तो अपने करियर की ऊंचाईयों को छूते हैं. वैसे तो सभी प्रकार के कार्यों के लिए सक्षम हैं परन्तु तकनीकी और मशीनरी कार्य, , इंजीनियरिंग, तेल और पेट्रोलियम सम्बंधित क्षेत्र आपके लिए विशेष लाभदायक हैं.

आपका वैवाहिक जीवन द्वारा आपके जीवन की शरुआती मुश्किलों और अस्थिरता समाप्त होगी. एक आज्ञाकारी और आपसे बहुत प्रेम करने वाली पत्नी के कारण आप सुखमय दाम्पत्य जीवन का अनुभव करेगे.

श्रवण नक्षत्र में जन्मी स्त्रियाँ भी विनम्र और सदाचारी होती हैं. अपने इन्ही गुणों के कारण श्रवण जातिकाएं परिवार और समाज में आदर प्राप्त करती हैं.

स्वभाव संकेत: श्रवण नक्षत्र के जातक विनम्र व्यक्ति के रूप में ख्याति प्राप्त करते हैं.

रोग संभावना : चमड़ी के रोग, अपच आदि

विशेषताएं 

प्रथम चरण : इस चरण का स्वामी मंगल  हैं. श्रवण नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्मा जातक मान सम्मान का इच्छुक एवं आशा वादी होता है. श्रवण नक्षत्र के प्रथम चरण का स्वामी मंगल, शनि का शत्रु है परन्तु चन्द्र का मित्र अतः चन्द्र और मंगल की दशा शुभ फल देगी. शनि की दशा उन्नतिदायक और धन के मामले में सहायक होगी.

द्वितीय चरण इस चरण का स्वामी शुक्र  हैं. श्रवण नक्षत्र के द्वितीय  चरण में जन्मा जातक गुणी एवं सकारात्मक सोच वाला होता है.  श्रवण नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शुक्र, शनि और चन्द्र दोनों का शत्रु है. अतः शुक्र को जितना शुभ फल देना चाहिए उतना नहीं दे पायेगा. शनि की दशा- अन्तर्दशा  में जातक  उन्नति करेगा , धन अर्जित करेगा एवं स्वस्थ रहेगा.

तृतीय चरण  इस चरण का स्वामी बुध  हैं. श्रवण नक्षत्र के तीसरे  चरण में जन्मा जातक समाज के विद्वान् व्यक्तियों में गिना जाता है.  श्रवण नक्षत्र के तृतीय चरण का स्वामी बुध, शनि का शत्रु है और चन्द्रमा की दोनों से ही शत्रुता है अतः बुध को जितना शुभ फल देना चाहिए उतना नहीं दे पायेगा. शनि की दशा- अन्तर्दशा  में जातक  को मान सम्मान मिलेगा एवं प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी.

चतुर्थ चरण : इस चरण का स्वामी चन्द्र  हैं. श्रवण नक्षत्र के चौथे चरण में जन्मा जातक धार्मिक एवं आध्यात्मिक प्रवृत्ति का होता है.   श्रवण नक्षत्र के चतुर्थ  चरण का स्वामी और नक्षत्र स्वामी भी चन्द्र है अतः चन्द्रमा की दशा अशुभ फल नहीं देगी. शनि की दशा- अन्तर्दशा  में जातक  उन्नति करेगा , धन अर्जित करेगा एवं स्वस्थ रहेगा.

अश्विनी भरणी कृतिका मृगशिरा  रोहिणी पुनर्वसु 
आद्रा पुष्य मघा  अश्लेषा पूर्वाफाल्गुनी उत्तराफाल्गुनी हस्त
चित्रा स्वाति विशाखा   अनुराधा ज्येष्ठ मूल पूर्वाषाढा
उत्तराषाढा धनिष्ठा शतभिषा पूर्वाभाद्रपद उत्तराभाद्रपद


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