" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
Pt Deepak Dubey

Apara Ekadashi/अपरा एकादशी 

Apara Ekadashi Vrat/अपरा एकादशी व्रत

Ekadashi 2022 / एकादशी 2022 

अपरा एकादशी का पौराणिक महत्व

ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी अपरा एकादशी के नाम से जानी जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अपरा एकादशी का व्रत और  पूजन से अपार धन की  प्राप्ति होती है, इसी कारण इस एकादशी का नाम अपरा एकादशी पड़ा. अपरा एकादशी व्रत करने  से अपार पुण्य की  प्राप्ति भी होती है ओर प्रेत योनी से भी छुटकारा मिल जाता है.

एकादशी व्रत से जहाँ मनुष्य को पाप कर्म से मुक्ति मिलती है और उसके लिए  मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं. एकादशी व्रत सुख सम्पदा एवं धन प्राप्ति के लिए भी किया जाता है.

व्रत विधिपुराणों के अनुसार दशमी तिथि  को  शाम में सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए और रात्रि में भगवान का ध्यान करते हुए सोना चाहिए। एकादशी का व्रत रखने वाले को अपना मन को शांत एवं स्थिर रखें. किसी भी प्रकार की द्वेष भावना या क्रोध मन में न लायें. परनिंदा से बचें.

प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करे तथा स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान् विष्णु की प्रतिमा के सामने घी का दीप जलाएं. भगवान् विष्णु की पूजा में  तुलसी, ऋतु फल एवं तिल का प्रयोग करें। व्रत के दिन अन्न वर्जित है. निराहार रहें और शाम में पूजा के बाद चाहें तो फल ग्रहण कर सकते है. यदि आप किसी कारण व्रत नहीं रखते हैं तो भी  एकादशी के दिन चावल का प्रयोग भोजन में नहीं करना चाहिए।

एकादशी के दिन रात्रि जागरण का बड़ा महत्व है। संभव हो तो रात में जगकर भगवान का भजन कीर्तन करें। एकादशी के दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को ब्राह्मण भोजन करवाने के बाद स्वयं भोजन करें।

फल: पद्मपुराण के अनुसार अपरा एकादशी के व्रत से व्यक्ति को वर्तमान जीवन में चली आ रही आर्थिक परेशानियों से राहत मिलती है। अगले जन्म में व्यक्ति धनवान कुल में जन्म लेता है और अपार धन का उपभोग करता है।

सागार: इस दिन कैरी का सागार लेना चाहिए

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