" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
Pt Deepak Dubey

Bhadrapad Chaturthi/Bhadrapad Sankashti Ganesh Chaturthi/ Sankashti Chaturthi/ Shri Ganesh Chaturthi/भाद्रपद चतुर्थी/श्री गणेश चौथ व्रत कथा /भाद्रपद मासी गणेश चतुर्थी/ गणेश चतुर्थी

chaitra sankashti

भाद्रपद संकष्टी चतुर्थी व्रत तिथि 30 अगस्त (गुरूवार) 2018 

चतुर्थी तिथि आरम्भ : 29 अगस्त, 9:38 PM

चतुर्थी तिथि समाप्त : 30 अगस्त , 10:09

व्रत का फल : भादो मास की चौथ सभी प्रकार के संकटों का नाश करने वाली तथा सर्व कामनाओ को देने वाली हैं

भाद्रपद गणेश चौथ व्रत कथा 

पूर्वकाल में राजाओं में श्रेष्ठ राजा नल था उसकी रूपवती रानी का नाम दमयन्ती था .शाप वश राजा नल को राज्यच्युत होना पड़ा और रानी के वियोग से कष्ट सहना पड़ा . तब दमयन्ती ने इस व्रत के प्रभाव से अपने पति को प्राप्त किया . राजा  नल नल के ऊपर  विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा था. डाकुओं ने उनके महल से धन, गजशाला से हाथी और  घुड़शाला से घोड़े हरण कर लिये , तथा महल को अग्नि से जला दिया . राजा नल भी जुआ खेलकर सब हार गये .

नल असहाय होकर रानी के साथ वन को चले गए . शाप वश स्त्री से भी वियोग हो गया कहीं राजा और कहीं रानी दु:खी होकर देशाटन करने लगे . एक समय वन में दमयन्ती को महर्षि शरभंग के दर्शन हुए . दमयन्ती ने मुनि को हाथ जोड़ नमस्कार किया और प्रार्थना कि प्रभु ! मैं अपने पति से किस प्रकार मिलूंगी ? शरभंग मुनि बोले –दमयन्ती ! भादों की चौथ को एकदन्त गजानन की पूजा करनी चाहिए . तुम भक्ति और श्रद्धापूर्वक गणेश चौथ का व्रत करो तुम्हारे स्वामि तुम्हें मिल जाएंगे .

शरभंग मुनि के कहने पर दमयन्ती ने भादों की गणेश चौथ को व्रत आरम्भ किया और सात मास में ही अपने पुत्र और पति को प्राप्त किया . इस व्रत के प्रभाव से नल ने सभी सुख प्राप्त किये .विघ्न का नाश करने वाला तथा सुखा देने वाला यह सर्वोतम व्रत है  .

 श्रावण संकष्टी गणेश चतुर्थी         संकष्टी गणेश चतुर्थी तिथि 2016           आश्विन संकष्टी गणेश चतुर्थी


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