" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
Pt Deepak Dubey

पापमोचनी एकादशी कथा/Paapmochani Ekadashi Katha

Ekadashi 2024/ एकादशी  2024

प्राचीन काल की बात है चित्ररथ नामक एक रमणिक वन में मेधावी नामक ऋषि तपस्या कर रहे थे। मेधावऋषि च्यवन ऋषि  के पुत्र थे. इस वन में देवराज इन्द्र भी गंधर्व कन्याओं तथा देवताओं सहित स्वच्छंद विहार करते थे।

मेधावी ऋषि शिव उपासक थे परन्तु अप्सराएँ शिव द्रोहिणी थी। एक बार कामदेव ने ऋषि का तप भंग करने के लिए उनके पास मंजुघोषा नामक अप्सरा को भेजा। मेधावी ऋषि अप्सरा के हाव भाव, नृत्य, गीत तथा कटाक्षों पर काम मोहित हो गए। मंजुघोषा के मोह जाल में मेधावी ऋषि को 57 वर्ष कैसे बीत गये पता भी न चला.

एक दिन मंजुघोषा ने देवलोक जाने की आज्ञा माँगी। उसके द्वारा आज्ञा माँगने पर मेधावी ऋषि को आत्मज्ञान हुआ कि मुझे रसातल में पहुँचाने का एकमात्र कारण अप्सरा मंजुघोषा ही हैं। क्रोधित होकर उन्होंने मंजुघोषा को पिशाचनी होने का श्राप दे दिया।

श्राप सुनकर मंजुघोषा भी भयभीत हो गयी और उसने काँपते हुए ऋषि से मुक्ति का उपाय पूछा। तब  ऋषि ने पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने को कहा तथा अप्सरा को मुक्ति का उपाय बताकर पिता च्यवन के आश्रम में चले गए। पुत्र के मुख से श्राप देने की बात सुनकर च्यवन ऋषि ने पुत्र की घोर निन्दा की तथा उन्हें भी पापमोचनी चैत्र कृष्ण एकादशी का व्रत करने की आज्ञा दी। व्रत के प्रभाव से मंजुघोष अप्सरा पिशाचनी देह से मुक्त होकर देवलोक चली गई।

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पापमोचनी एकादशी व्रत/Paapmochani Ekadashi Vrat 

 आमलकी  एकादशी/  Aamalki Ekadashi                                                                       

 


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