" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
Pt Deepak Dubey

   शनि और केतु धनु राशि में

23 मार्च 2019 से 10 जनवरी 2020 तक

पूर्ण रूप से 23 मार्च को केतु और शनि ग्रह की युति धनु लग्न को प्रभवित करेगा | केतु और शनि ग्रह की युति का प्रभाव 10 महीनों तक रहेगा | इसके बाद 8 महीने तक केतु गुरु ग्रह के साथ धनु लग्न में युति करेगा |

केतु के शुभ प्रभाव – केतु के शुभ प्रभाव से जातक जिस चीज की कल्पना नहीं कर सकता ऐसी गतिविधियाँ होती हैं | केतु के शुभ-प्रभाव से अचानक से किसी कार्य में आपको अच्छी सफलता मिलेगी | धर्म के प्रति जागरूकता और रूचि बढ़ेगी | केतु के शुभ प्रभाव से आध्यात्मिक ज्ञान में वृद्धि होती है | जातक बिना सोचे-विचारे सहायता करने को तैयार रहता है | केतु के दशम भाव में होने के कारण जातक मृत्यु के पश्चात बहुत ख्याति प्राप्त करता है |

केतु के अशुभ प्रभाव – केतु के अशुभ प्रभाव से अचानक जातक के साथ कोई दुर्घटना घटित होती है | कोई हिंसात्मक घटना घटित हो वो भी केतु के अशुभ प्रभाव के कारण होती है | किसी विषाक्त जीव अथवा जंगली जानवरों के द्वारा कोई घटना घाट सकती है | केतु के अशुभ प्रभाव जातक अपने पतन की तरफ अग्रसर होता हैं | अकस्मात् किसी चीज की बड़ी हानि होती है | तथा भौतिक सुखों का नाश होता है | केतु के दुष्प्रभाव से जातक के अन्दर हिंसात्मक प्रवृत्ति उत्पन्न करा सकता है |

शनि और केतु की युति का अन्य राशियों पर पड़ने वाले प्रभाव

यह राशिफल सूर्य या चन्द्र राशि पर आधारित न होकर लग्न पर आधारित है. यह बहुत ही सामान्य आधार पर है अतः किसी विशेष परिस्थिति में अपनी कुंडली की जाँच कराकर ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचे . अच्छे या बुरे परिणाम आपकी वर्तमान दशा- अंतर दशा पर निर्भर करते हैं.

मेष – मेष राशि के जातकों के लिए केतु नवम भाव में भाग्य के स्थान पर रहेंगे और शनि दशम भाव में एकादश के स्वामी हैं | केतु और शनि के युति के प्रभाव के कारण आपके लिए जन्मस्थान से कहीं दूर जाने की स्थिति बन रही है | देश-विदेश की यात्रा सम्भव है | यात्राओं से लाभ मिलेगा | धर्म के पथ पर अग्रसर होंगे | सामाजिक कार्यों में रूचि बढ़ेगी | भाग्य भरोसे कार्यों में रुकावट आएगी | भाग्य आपका बहुत साथ नहीं देगा | सन्तान सुख की प्राप्ति होगी | आपके पराक्रम में वृद्धि रहेगी | आपकी पदोन्नति तथा आय में बाधा उत्पन्न होगी | किसी चीज के लिए अत्यधिक संघर्ष करना पड़ेगा | आपके कार्य-व्यापार में बाधा उत्पन्न होगी  तथा कोई भी कार्य शीघ्र नहीं होगा | पिता से अच्छा सम्बन्ध बना रहेगा |

वृषभ – वृषभ राशि के जातकों के लिए केतु और शनि अष्टम भाव में रहेंगे | जिसका जातक के ऊपर काफी बुरा असर पड़ेगा | अचानक आपका स्वास्थ खराब होने की सम्भावना बनी हुई है | अचानक से कोई बड़ी घटना-दुर्घटना होने की प्रबल योग बना हुआ है | विशेषकर मई, सितम्बर और दिसम्बर का महीना आपके लिए अत्यधिक घातक रहेगा | बहुत से लोगों के लिए एक से अधिक सम्बन्ध तथा दूसरा विवाह होने की भी सम्भावना बनी हुई है | कार्य-व्यापार में अत्यधिक संघर्ष की स्थिति बनी रहेगी  तथा व्यापार में बाधा उत्पन्न होगी  और आपको कोई लम्बी अवधि की बिमारी हो सकती है |

मिथुन – केतु और शनि आपके सप्तम भाव में रहेंगे | इनके प्रभाव से आप दूसरों को निष्पक्ष होकर और सही सलाह देंगे | आपके शत्रुओं का विनाश होगा | जिस कार्य में आप स्वयं परिश्रम करेंगे उसमे आपको अच्छी सफलता मिलेगी | जो लोग अपने वचन पर अडिग रहेंगे उनको अच्छी सफलता में निराशा नहीं होगी | जिन लोगों को अपनी बातों को बार-बार पलटने की आदत है, उन्हें निराशा उत्पन्न होगी | आपके जीवनसाथी पर केतु और शनि ग्रह की युति का बेहद खराब प्रभाव पड़ेगा | जिन लोगों के जीवन साथी की स्वास्थ सम्बन्धित समस्या है | उसमे और वृद्धि होने का प्रबल योग बना हुआ है तथा बहुत से लोगों के लिए विछोह तक की समस्या उत्पन्न कर सकता है | जो लोग साझेदारी में कार्य-व्यापार कर रहे हैं | उनके लिए कार्य-व्यापार में रुकावट उत्पन्न होगी |

कर्क  केतु और शनि ग्रह की युति छठें भाव में रहेगी | जिसके प्रभाव से आपके शत्रुओं का विनाश होगा | कोर्ट-कचहरी के मामले से छुटकारा मिलेगा | पुराने कर्ज से मुक्ति मिलेगा | इस समय आप दुस्साहस भरे कार्य करेंगे | आप कठिन से कठिन परिश्रम से नहीं घबराएंगे | अत्यधिक परिश्रम का अच्छा परिणाम मिलेगा | आपके मान-सम्मान में वृद्धि होगी | कार्य-व्यापार में बाधा का योग बना हुआ है | केतु और शनि के युति के प्रभाव के कारण विवाह इत्यादि में विलम्ब होगा | व्यक्तिगत निर्णय के लिए समय ठीक नहीं है | आप कोई स्पष्ट निर्णय नहीं कर पायेंगे |

सिंह – केतु और शनि ग्रह इस समय आपके पञ्चम भाव में रहेंगे | जिसके कारण पढ़ाई करने की इच्छा प्रबल रहेगी, परन्तु आपकी इच्छा पूरी हो इसमें संशय है | शिक्षा के मामले में थोड़ा रुकावट के साथ सफलता का योग है | सन्तान के लिए हानिकारक स्थिति बनी हुई है | जो गर्भवती महिलाएँ हैं उनका कष्ट बढ़ेगा | जो लोग सन्तान के लिए प्रयासरत हैं , उनके लिए बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न होने का योग बना हुआ है | यदि कुण्डली में कोई दोष है, या कालसर्प दोष पञ्चम भाव में ही है  तो समस्या और विकराल रूप ले सकती है  |

कन्या – कन्या लग्न के जातक के लिए केतु और शनि ग्रह की युति चतुर्थ भाव में होगी | जिससे आपके लिए हानिकारक स्थिति उत्पन्न होगी | आप काल्पनिक भय के शिकार होंगे | आपको हमेशा किसी न किसी प्रकार का डर बना रहेगा | आप वास्तविकता से अधिक की सोच रखेंगे | आपकी सोच नकारात्मक रहेगी | भूमि, भवन, वाहन इत्यादि की खरीदारी में कुछ न कुछ रुकावट उत्पन्न होती रहेगी | बहुत से लोग पुराने भवन, वाहन खरीदेंगे तथा उसके मरम्मत को लेकर परेशान होंगे | शनि, केतु ग्रह की युति आपकी माँ के सेहत को प्रभावित करेगा | कहीं किसी प्रकार से धन निवेश ना करें इसमें आपको हानि होगी |

तुला  केतु और शनि की युति तीसरे भाव में होगी | जिसके प्रभाव से आपके अन्दर निश्छल पराक्रम की वृद्धि होगी | आप कोई भी कार्य निःस्वार्थ भाव से करेंगे | आप आवश्यकता से अधिक और अच्छी भावना से कार्य करेंगे | आपकी अच्छे लोगों से मित्रता होगी | सगे सम्बन्धी बढ़ेंगे | तथा उनसे आपको लाभ मिलेगा | मित्र तथा सगे-सम्बन्धियों से आप अधिक से अधिक लाभ मिलने की अपेक्षा रखेंगे |  भाई-बहन से कोई वाद-विवाद हो तो उसे आप सुलझाने की कोशिश करेंगे | आपके मान-सम्मान में वृद्धि होगी | अपने करीबी लोगों से मिलने की प्रबल इच्छा रहेगी  | यदि आपकी कुण्डली में ‘कालसर्प दोष’ है और शनि केतु की दशा अन्तरदशा चल रही है तो भाई-बहनों से तेज वाद-विवाद हो सकता है | करीबी मित्रों से मतभेद हो सकता है | परिश्रम का परिणाम तुरन्त नहीं मिलेगा |

वृश्चिक  केतु और शनि ग्रह की युति दुसरे भाव में रहेगी | जिसके कारण पारिवारिक सुख में कमी रहेगी तथा परिवार के विरोध का सामना आपको करना पड़ सकता है | आपके धन संग्रह में कमी रहेगी | धन संचय करने में आपको बाधा उत्पन्न होगी | सरकारी कार्यों में भी आपको कठिनाईयों का सामना करना पड़ेगा | आपके प्रतिष्ठा के लिए सही समय नहीं है | आपके सम्मान में कमी होने की सम्भावना बनी हुई है | इसके प्रति सतर्क रहें | आपकी वाणी कठोर तथा समझ से परे रहेगी | कार्य-व्यापार से होने वाले लाभ में रुकावट का योग बना हुआ है |

धनु – केतु और शनि की युति आपके लग्न भाव में हो रही है | जिसके प्रभाव से आपके व्यक्तित्व में बदलाव आयेगा | आपका मन अशान्त रहेगा | गलत लोगों का साथ मिलेगा | इधर की बात उधर करने की प्रवृति आपके अन्दर उत्पन्न होगी | जिन लोगों को कब्ज अथवा नसों से सम्बन्धित कोई बिमारी है तो उसमे वृद्धि होने का प्रबल योग बना हुआ है | आपका पराक्रम बढ़ा रहेगा | आपके अन्दर किसी कार्य को करने उत्साह रहेगा | आपके अन्दर जिद्द की भावना प्रबल रहेगी | आपके कार्यों में ज़रा भी ईमानदारी की कमी हुई तो आपको बहुत बड़ी हानि होने की प्रबल सम्भावना बनी हुई है |

मकर – केतु और शनि ग्रह की युति आपके द्वितीय भाव में हो रही है | जिसके कारण आपके लिए अपने जन्मस्थान से कही दूर विदेशों में जाकर बसने की सम्भावना उत्पन्न हो रही है | विदेशी कार्य-व्यापार में आपको लाभ मिलेगा | धार्मिक और सामाजिक कार्यों से भी आप लाभान्वित होंगे | आपके अन्दर व्यसन की प्रवृत्ति उत्पन्न होगी | नींद की कमी रहेगी | विशेषकर उन जातकों के लिए जिनका शनि वक्रिय हों और चन्द्रमा नीच का हों | किसी भी कार्य में आपको परिश्रम अधिक करना पड़ेगा और इसका परिणाम तुरन्त नहीं मिलेगा | बहुत से लोगों के लिए घर में कोई बड़ी हानि होने की सम्भावना प्रबल है | जातक की कुण्डली में केतु और शनि की दशा-अन्तरदशा खराब हो तो, बाहरी लोगों द्वारा घर में घुसकर किसी खतरनाक घटना को अंजाम दिया जा सकता है |

कुम्भ – केतु और शनि की युति आपके एकादश भाव में हो रही है | आपके लग्नेष शनि हैं |जिसके कारण आपके आय में वृद्धि होगी | परन्तु इसके लिए आपको अथक परिश्रम करना पड़ेगा | सन्तान के लिए प्रतिकूल समय है | शिक्षा में रुकावट का योग बना हुआ है लेकिन परिश्रम से सफलता का योग है | व्यापार में वृद्धि होगी तथा व्यापार से आपको लाभ मिलेगा | जातक की कुण्डली में केतु और शनि की दशा अन्तरदशा खराब है तो आपके आय में रुकावट हो सकती है  और परिश्रम अधिक करना पड़ेगा |

मीन – केतु आपके दशम भाव में रहेंगे | जिसके कारण आपको सरकारी कार्यों में बड़ी सफलता मिलेगी | यदि आपकी कुण्डली में केतु और गुरु की युति हो रही है तो आपकी कोई लौटरी लग सकती है और कहीं आपको कोई बड़ी पद-प्रतिष्ठा हाँसिल हो सकती है |  पिता के सम्पत्ति में आपको अच्छे सुख की सम्भावना बन रही है  और शनि केतु के युति के कारण आपकी चीजों में रुकावट आयेगी | आपके माता के सुख में कमी रहेगी | आय में वृद्धि होगी | आपके मान-सम्मान में वृद्धि होगी | यात्राओं से लाभ होगा | कार्यक्षेत्र में आपके सहकर्मियों तथा आपके सेवकों से आपको हानि होगी | तथा आपके लिए मान्सिक तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है |

केतु के उपचार

  • केतु के दुष्प्रभाव से बचने के लिए आप अपने कर्म क्षेत्र में कुसंगति से और व्यसन से दूर रहें |
  • किसी भी कार्य के प्रति अपनी सोच को बदलना होगा | आवश्यकता से अधिक  ना सोचें  तथा कभी भी नाकारात्मक सोच ना रखें |
  • जीव-जंतुओं की सेवा करने से तथा उन्हें खाना खिलाने से केतु का प्रभाव कम होता है |
  • केतु से सम्बन्धित दान – शीशे का बर्तन, बहुरंगी कपड़ा, खट्टे फल, गुड़, अन्न तथा सप्तधान्य इत्यादि का दान करें | इससे केतु का दुष्प्रप्रभाव कम होता है |
  • यदि केतु की दशा-अन्तरदशा चल रही हो तो उसमे आप भगवान गणेशजी” का अनुष्ठान करावें | इससे आपको लाभ मिलेगा |
  • केतु के कारण कोई बड़ी घटना-दुर्घटना या स्वास्थ से सम्बन्धित कोई योग बन रहा हो तो केतुऔर गणेशजीका अनुष्ठान साथ में करावें |
  • कॅरियर में बाधा उत्पन्न हो रही हो तो इसके लिए भगवान गणेशजी” का अनुष्ठान और नियमित पूजा करें |     

 

शुभम भवतु !

ज्योतिषविद पं. दीपक दूबे  

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