शुक्र 1 अगस्त, 2016 को कर्क से सिंह राशि में प्रवेश कर रहा है , यहाँ राहु , गुरु और बुध पहले से ही विद्यमान हैं गुरु 11 को , बुध 19 को यहाँ से अपनी राशि परिवर्तित कर देगा परन्तु राहु की उपस्थिति यहाँ बनी रहेगी . इन सभी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए मैंने इस शुक्र के राशि परिवर्तन को बताने का प्रयास किया है .
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मेष : शुक्र आपके पंचम भाव में प्रवेश करेगा , साधारणतः शुक्र का पंचम भाव में आना शुभ ही माना जाता है और यह आपके लिए भी शुभ ही होगा परन्तु राहु की उपस्थिति इसे दूषित करेगी . इस समय आपकी बौद्धिक क्षमता बढ़ेगी लेकिन संतान कष्ट या गर्भ हानि का योग भी बनेगा . यह समय प्रेम सबंधों को खूब बढायेगा परन्तु कम से कम जबत क शुक्र पंचम भाव में है मैं प्रेम विवाह करने की सलाह नहीं दूंगा अन्यथा बहुत पश्चाताप करना पड़ेगा क्योंकि धोखा निश्चित है. इस समय बुद्धि के बल पर धन कमाने में समर्थ होंगे साथ ही शेयर और लाटरी से भी धन प्राप्त होने की प्रबल संभावना है
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वृष : लग्नेश और षष्टेश शुक्र अब आपके चतुर्थ भाव में गोचर करेगा , शुक्र चतुर्थ भाव में योगकारी हो जाता है परन्तु यहाँ गुरु , बुध और राहु पहले से ही विद्यमान हैं अतः यह एक ओर भौतिक सुखों में वृद्धि करेगा तो वहीँ दूसरी ओर धार्मिक गतिविधियाँ और यात्रायें भी कराएगा. जहाँ एक ओर यह शुक्र पैतृक संपत्ति दिलाएगा वहीँ माता और पिता के लिए कष्टकारी होगा विशेष कर माता के लिए यह अधिक कष्टकारी हो सकता है. वैवाहिक जीवन में प्रसन्नता के साथ – साथ नोक –झोक भी बढ़ाएगा .
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मिथुन : मिथुन लग्न में शुक्र पंचम और द्वादश भाव का स्वामी है जो अब आपके तीसरे भाव में आ रहा है अतः धन अधिक खर्च होगा , यार – दोस्तों पर , घुमने – फिरने पर , मौज – मस्ती पर खूब धन खर्च होगा . इस समय परिवार के सदस्यों से मनमुटाव और विवाद संभावित है . यात्रायें खूब होंगी . कुछ लोग अनैतिक कार्यों में लिप्त हो सकते हैं. यह समय मन को भटकाव देने वाला होगा विशेष कर यदि शुक्र या राहु की ही दशा या अंतर हो तो यह और अधिक प्रभावशाली होगा.
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कर्क : यहाँ शुक्र चतुर्थ और एकादश भाव का स्वामी है जो अब आपके दूसरे भाव में प्रवेश करेगा यहाँ यह बहुत सार्थक नहीं होगा . यह कर्ज लेकर धनी दिखने की प्रवृत्ति को बढ़ाएगा . इस समय खाने – पीने और मौज – मस्ती में धन खर्च होगा . आय भी इस समय अच्छी होगी परन्तु व्यय उससे भी अधिक होगा अतः धन का टिकना असंभव सा रहेगा . माता के स्वास्थ्य की हानि करेगा . नौकर धोखा दे सकते हैं अतः सतर्कता बरतें . लालच के वश में आकर कहीं निवेश करना भारी पड़ सकता है सावधान रहें.
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सिंह : सिंह लग्न के जातकों के लिए शुक्र दशम भाव और तृतीय भाव का स्वामी है जो अब आपके लग्न में ही आ रहा है अतः यह स्वास्थ्य के लिए कुछ कष्टकारी होगा . सुदूर यात्राओं से या विदेशों से धन कमाने में समर्थ होंगे संभव है सुदूर यात्रा भी हो . यह शुक्र आपके आँखों के लिए भी ठीक नहीं है. यहाँ यह कार्य – व्यापार और उन्नति में कुछ बाधक भी होगा विशेष कर यदि शुक्र की ही दशा हो. इस समय गुप्त शत्रु भी उत्पन्न होंगे जो पीठ पीछे वार करने का प्रयास करेंगे अतः अपने करीबियों से सावधान रहें.
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कन्या : कन्या लग्न के जातकों के लिए शुक्र अत्यंत ही योगकारक ग्रह है क्योंकि यह दूसरे स्थान और नवम स्थान का स्वामी है जो अब आपके द्वादश भाव में प्रवेश कर रहा है . वैसे तो अकेला शुक्र द्वादश भाव में बेहतर परिणाम देता है परन्तु एक तो कन्या लग्न और ऊपर से यहाँ कई ग्रहों से युतियाँ जिसमे राहु सबसे दूषित है अतः यह शुभ परिणाम नहीं देगा , अनावश्यक के व्यय , वैवाहिक जीवन में तनाव तथा पारिवारिक जीवन में कष्ट उत्पन्न करेगा . यदि जन्म कुंडली में शुक्र ख़राब है तो निश्चित ही इस समय यह गलत संबंधों को जन्म दे देगा . आपको परिस्थिति वश परिवार से दूर जाना पड़ सकता है . इस समय परिश्रम का लाभ नहीं मिलेगा और भाग्य का साथ भी नहीं होगा अतः धैर्य रखें.
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तुला : तुला लग्न के जातकों के लिए शुक्र लग्नेश और अष्टमेश है जो अब आपके एकादश भाव में प्रवेश करेगा . धन आगमन के लिए यह अत्यंत ही शुभ है . इस समय स्थायी संपत्ति तथा वाहन और गहनों का अच्छा योग बनेगा . पारिवारिक सुखों में वृद्धि होगी तथा बौद्धिक क्षमता का विकास होगा . इस समय ट्रेवल से सम्बंधित व्यापार करने वालों को विशेष लाभ का योग बनेगा . इस समय आपकी सोच अत्यंत ही तीव्र और लगातार परिवर्तित होने वाली होगी ..दूसरों की मदद करने के मामले में थोड़ी कंजूसी बरतेंगे.
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वृश्चिक : वृश्चिक लग्न में शुक्र द्वादश और सप्तम भाव का स्वामी है जो अब आपके दशम भाव में आ रहा है. वैसे तो दशम भाव में शुक्र योगकारी है परन्तु युतियाँ इसे दूषित कर देंगी और इसके प्रभाव में भारी कमी आयेगी . कुछ लोगों को अपने जीवन साथी से जिससे अधिक प्रेम करते हैं उससे धोखा मिल सकता है . कार्य स्थल पर भी सहकर्मी और उच्च अधिकारी अचानक समस्यायें उत्पन्न कर सकते हैं . परन्तु यदि दशा किसी शुभ ग्रह की हुई तो इस समय उच्च पद या पदोन्नति हो सकती है.
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धनु : छठें और एकादश भाव का स्वामी शुक्र अब आपके नवम भाव में प्रवेश करेगा. इस समय आपकी आय निर्बाध रूप से आगे बढ़ेगी . धन का अच्छा आगमन होगा तथा आय के नए साधन भी उत्पन्न होंगे . विवाहित लोगों को ससुराल पक्ष से खूब लाभ मिलेगा . कार्य स्थल पर प्रेम पनप सकता है तथा इस समय विपरीत लिंगियों के प्रति जबरदस्त आकर्षण बढेगा . भाग्य के मामले में कुछ कठिनाइयाँ हो सकती है अतः किसी भी कार्य में सिर्फ भाग्य भरोसे ना रहें बल्कि उसमे कर्मों को भी प्रभावी बनायें .
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मकर : मकर लग्न में शुक्र पंचम और दशम स्थान का स्वामी है जो अब आपके अष्टम भाव में प्रवेश करेगा . अष्टम भाव में गुरु , बुध , राहु और अब शुक्र यह बहुत शुभ सूचक नहीं है . अपने से उच्च अधिकारीयों के भारी विरोध का सामना करना पड़ सकता है . शिक्षा और साक्षत्कार के लिए यह अत्यंत ही अवरोधक स्थिति उत्पन्न करेगा अतः बहुत अधिक प्रयास करें . प्रेम संबंधों में जबरदस्त धोखा मिल सकता है विशेष कर पुरुषों को और यदि जन्म कुंडली में भी शुक्र राहु युति हो फिर तो इसका प्रभाव बहुत अधिक होगा . यह समय बहुत बाधक होगा अर्थात कार्य – व्यापार – नौकरी – परिवार – सुख – शिक्षा लगभग सभी जगह रूकावट का अनुभव करेंगे . नए प्रयोगों और नए रिश्तों से कुछ समय के लिए दूरी बना लें .
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कुम्भ : चतुर्थ और भाग्य स्थान का स्वामी शुक्र अब आपके सप्तम भाव में प्रवेश करेगा. इस समय विवाहित या गहरे प्रेम सम्बन्ध रखने वालों को बहुत लाभ होगा विशेष कर व्यापार में . पारिवारिक सुख में वृद्धि होगी तथा कुछ लोगों के लिए नए प्रेम प्रसंग भी बनेगे तथा वैवाहिक प्रस्ताव के लिए भी यह समय ठीक ही रहेगा. यह समय आर्थिक उत्थान का भी होगा यदि शुक्र में राहु या राहु में शुक्र की दशा ना हो तो . जन संपर्क बहुत ही तेज होगा . इस समय काम वासना के पक्ष को छोड़ दूँ तो बाकी लगभग सभी पक्ष सकारात्मक ही रहने वाले हैं .
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मीन : मीन लग्न में शुक्र तीसरे और अष्टम भाव का स्वामी है और यह अब आपके छठे भाव में गोचर करेगा और बुध , गुरु और राहु से सम्बन्ध बनाएगा. यहाँ शुक्र औरराहु की युति उतनी ख़राब नहीं है जितनी बुध और गुरु के साथ युति , यह वैवाहिक जीवन के लिए बिलकुल ही शुभ सूचक नहीं है . इस समय हर कार्य में बाधा उत्पन्न होगी . करीबी मित्र या रिश्तेदार धोखा दे सकते हैं .यदि जन्म कुंडली में भी विवाह से सम्बंधित ग्रह दूषित हैं तो यह लगभग एक माह विवाह भंग तक करने की स्थिति बना सकता है . यह सिर्फ शत्रुओं के मामलें में आपको बहुत राहत देने वाला होगा और विवादस्पद संपत्ति के मामले में आपको सफलता दिलाने वाला होगा .
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