शनि गोचर २०२१

                                                               शनि गोचर २०२१

साल २०२१ में शनि ग्रह राशि परिवर्तन नहीं करेंगे और पूरे वर्ष अपनी स्वराशि यानी की मकर में ही रहेंगे, लेकिन इस साल शनि ग्रह का नक्षत्र परिवर्तन अवश्य होगा। साल की शुरुआत में शनि ग्रह उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में स्थित होंगे, और उसके बाद २२ जनवरी को शनि ग्रह श्रवण नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इस तरह शनि देव संपूर्ण २०२१ उत्तराषाढ़ा और श्रवण नक्षत्रों में ही गोचर करेंगे और उसी के अनुसार मनुष्य को इसका फल प्राप्त होगा। 

शनि की साढ़ेसाती 

जब शनि का गोचर जन्म राशि से बारावें भाव, पहले भाव व द्वितीय भाव से होता है तो उस कालावधि को शनि की साढ़े साती कहा जाता है। इस तरह से शनि एक राशि पर साढ़े सात साल तक अपना प्रभाव दिखता है इसी काल को शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है। एक राशि पर तीस साल बाद शनि की साढ़ेसाती आती है।

शनि की ढैय्या

जब शनि का गोचर जन्म राशि से चतुर्थ भाव और अष्टम भाव में होता है तब इसे शनि की ढैय्या कहते है। शनि की ढय्या का प्रभाव एक राशि पर रहता है। एक राशि पर लगभग सोलाह साल बाद शनि की ढैय्या आती है।

शनि देव का वक्री काल

२३/०५/२०२१, रविवार ०९:१५:०० बजे से शनि देव मकर राशि में वक्री होगे, और ११/१०/२०२१, सोमवार ०६:००:०० को शनि देव का मकर राशि में वक्री काल समाप्त होगा।

वक्री शनि देव का फल

वक्री होने का अर्थ है ग्रह आगे ना चलके पीछे की तरफ अपनी चाल करता है। सूर्य सिद्धांत में ग्रहों की आठ तरह की गति का वर्ण किया है। ग्रहों की चाल अतिशीघ्र, शीघ्र, मंद, मंदोतर और सम ये पाच मार्गी गति होती है और वक्र, अनुवक्र, कुटिल ये तीन ग्रहों की गति वक्री होती है। ग्रह जभी मार्गी या वक्री होता है तो वह सिर्फ आगे या पीछे चाल नही करते, वह उस चाल में भी कभी तेज चाल कभी मंद चाल, कभी एकदम ही रुक-रुक के चलते है। ग्रहों की सम चाल ही ठीक होती है, ग्रह ना तेज़ चलना चाहिए ना ज्यादा मंद चलना चाहिए, तभी वो प्रकृति के लिए शुभ होते है।

शनि देव जब वक्री चाल करते है तो वो अत्यंत प्रभावी होते है। शनि देव जब वक्री होते है तो प्रकृति मे उथल पुथल पैदा होती है तेज हवाएँ, भूस्खलन, भूकंप, 

किसी राष्ट्र या उस राष्ट्र के प्रमुख नेता में साथ या समस्त विश्व के साथ असंतोष, चिंता का वातावरण उत्पान होता है। शेयर बाजार, कोयला, तेल, स्टील और लोहे से संबंधित व्यापारो में नुकसान होता है।

जन्म कुंडली में शनि देव यदि वक्री अवस्था में है तो उसे गोचर के वक्री शनि शुभ फल प्रदान करते है।

वक्री शनि देव काम मे रुकावटें लाते है इसलिए इस समय नया व्यापार, नये काम की शुरुआत नही करना चाहिए।

२०२१ में राशियों के अनुरूप शनि गोचर का फल

मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए शनि देव इस साल उनके दशम भाव में गोचर करेंगे जिसके कारण इन जातकों को व्यापार कार्यस्थल पर अधिक ज्यादा परिश्रम करना पड़ेगे। पिता की सेहत मे कोई परेशानी आ सकती है। मेष राशि मे इस साल शनि का शश नामक योग बना रहा है। जो समाज में कुछ प्रतिष्ठा प्राप्त हो सकती है, सहनशीलता, परिश्रम करने की शक्ति प्रदान करेगा, अगर आप भूमि, भवन के काम करते हो में सफलता प्राप्त होगी। पैरों मे दर्द और, नींद की कमी की समस्या हो सकती है।

वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों के लिए शनि देव इस साल उनके नवम भाव में गोचर करेंगे, यह समय यात्राआे का या विदेश यात्रा का योग बनता है। धार्मिक कार्य मे भाग लेंगे, धार्मिक, सेवा के कार्य मे मन लगेगा। किसी बुजुर्ग की मौत का शौक संदेश आ सकता है। धनहानि, संपत्ति के हानि के योग बन सकते है, कुछ नया मकान या जमीन खरीद के लिए कुछ समस्या उत्पन हो सकती है। वर्ष के अंत में कार्य मे सफलता के योग है।

 मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों के लिए शनि देव इस साल उनके अष्टम भाव में गोचर करेंगे, मिथुन राशि वालों की इस साल शनि की ढैय्या रहेगी तो कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इस साल जातक को कुछ सेहत की समस्या का सामना करना पड सकता है। संतान और मित्रो से वैचारिक मतभेद, धन और संपत्ति की कुछ हानि के योग, घर में कोई जानवर हो तो उसे भी कुछ हानि हो सकती है। यह समय कुछ चुनौती भरा हो सकता है इसलिए योगा मेडिटेशन करने से बोहत लाभ प्राप्त होगा। क्योंकि शनि देव योग का कारक है।

कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों के लिए शनि देव इस साल उनके सप्तम भाव में गोचर करेंगे, गोचर का सप्तम भाव का शनि कर्क राशि वाले जातकों की पत्नी की सेहत में कुछ समस्या दर्शाता है इसलिए थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए । कुछ वैवाहिक मत भेद भी उत्पन होते है। मान – सम्मान के योग, लंबी यात्राओं के योग, व्यापार मे सफलता के अच्छे योग है पर अगर आप के साझेदारी के काम होंगे तो उसमे मतभेद उत्पन्न हो सकते है। प्रेम संबंधों के लिए यह समय ठीक है, कुछ दूरियां होगी तो वह दूरियां मिट जायेगी।

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए शनि देव इस साल उनके छठे भाव में गोचर करेंगे, छठे भाव का शनि कार्यों में सफलता देगा। आपके विरोधी आपसे जीत नही पाएंगे। कोई कानूनी केस होगा तो उसमे सफलता प्राप्त होगी। खुशियां प्राप्त होगी, अल्प प्रयासों से सफलता प्राप्त होगी। विदेश यात्रा के योग या यात्रा के योग बनेंगे। प्रेम संबंधों मे उतार चढ़ाव रहेंगे। सेहत में थोटी मोटी परेशानी आसक्ति है इसलिए सेहत का ध्यान रखें की ज्यादा आवश्यकता है।

कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों के लिए शनि देव इस साल उनके पंचम भाव में गोचर करेंगे, धन सम्पत्ति के लिए यह समय अच्छा है, आय के अच्छे स्रोत बनायेगा। व्यापार में तरक्की के योग पर आवेश में आकर कोई निर्णय ना ले। संतान पक्ष से कुछ परेशानियां उत्पन हो सकती है। विद्यार्थियों के लिए शिक्षा के क्षेत्र मे कुछ रुकावटें आ सकती है। प्रेम संबंधों के लिए यह वर्ष उत्तम रहेगा जो विवाह करना चाहते है उनके विवाह के योग है। विदेश यात्रा के योग बनेंगे। 

तुला राशि

तुला राशि के जातकों के लिए शनि देव इस साल उनके चतुर्थ भाव में गोचर करेंगे, तुला राशि वालों की इस साल शनि की ढैय्या रहेगी तुला राशि वालों पर शनि की विशेष कृपा रहती है। पर ढैय्या में उन्हे कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। कार्यों में दबाव, मानसिक तनाव का सामना करना पड़ेगा। सेहत में कुछ परेशानियों का समाना करना पड़ सकता है। माता को किसी तरह का कष्ट सेहना पड सकता है। भूमि, मकान या कोई प्रॉपर्टी खरीदने के पूरे योग है। समाज में मान प्रतिष्ठा प्राप्त होगी, कई खुशियां प्राप्त होगी।

 वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शनि देव इस साल उनके तृतीय भाव में गोचर करेंगे, नौकरी पेशा वाले लोगों को यह वर्ष उत्तम शुभ परिणाम देगा, आपके सहयोगी आपके प्रभाव में रहेंगे, आप को सहयोग प्रदान करेंगे। धन, सम्पत्ति मे यह साल वृद्धि करेगा, कोई नई प्रॉपर्टी खरीदना लाभप्रद होगा। लम्बे समय से अटके हुए काम पूर्ण होंगे। जीवन में खुशियां मेहसूस करोगे, यात्रा के योग, यात्राओं से लाभ प्राप्त होंगे, भाग्य पूरा सहयोग करेगा।

धनु राशि

धनु राशि के जातकों के लिए शनि देव इस साल उनके द्वितीय भाव में गोचर करेंगे, धनु राशि वालों के लिए शनि की साढ़ेसाती का अंतिम चरण होगा इससे कई परेशानियों का अंत और धन संबंधी कार्य पूर्ण होंगे, धन में वृद्धि होगी। घर से दूर रहने के योग बनेंगे, रुके हुए कार्य पूर्ण होंगे। पैतृक संपत्ति से लाभ प्राप्ति के योग, भाग्य पूरा सहयोग देगा। वाणी पे नियंत्रण रखनी की आश्यकता है। किसी संस्था से धन प्राप्ति के योग।

मकर राशि

मकर राशि के जातकों के लिए शनि देव इस साल उनके प्रथम भाव में गोचर करेंगे, शनि स्वयं मकर राशि में गोचर करेंगे मकर राशि वालों के लिए यह साढ़ेसाती का द्वितीय चरण है। जिसके कारण वरिष्ठ वर्ग से कुछ दबाव बनाने की संभावना बनेगी। सेहत में कुछ परेशानीया हो सकती है। धन संबंधी कार्य में सफलता प्राप्त होगी, कार्यों में सफलता के योग, पिता से सहयोग प्राप्त होगा। परिवार तनाव बनेगा, पैतृक संपत्ति से लाभ प्राप्त होगा, मान सम्मान प्राप्त होगा।

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों के लिए शनि देव इस साल उनके बारवे भाव में गोचर करेंगे, कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण रहेगा। कुंभ राशि वालों के यह समय परेशानियां बढ़ने वाला रहेगा। जीवन साथी का स्वास्थ खराब रहेगा जिससे धन का व्यय होगा। व्यापार में नौकरी में परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। धन का व्यय होगा। व्यर्थ की यात्रा या भटकाव होगा। शत्रुओं द्वारा कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ेगा, अकेलापन बढ़ेगा।

मीन राशि

मीन राशि के जातकों के लिए शनि देव इस साल उनके ग्यारहवें भाव में गोचर करेंगे, यह शनि काफी सकारातमक परिणाम देंगे। धन, सम्पत्ति में वृद्धि होगी, मित्रो का सहयोग प्राप्त होगा। कार्यों में सफलता प्राप्त होगी, विरोधियों पे विजय प्राप्त करोगे। संतान से मधुर संबंध बढ़ेंगे, शिक्षा के क्षेत्र में या कार्यों में कुछ रुकावटें आयेगी। विदेशी स्रोत से लाभ होगा, प्रेम संबंधों के लिए यह समय महत्वपूर्ण बदलाव करेगा।

राशिओ को कब साढ़ेसाती और ढैय्या होगी ये विश्लेषण

मेष राशि

साढ़ेसाती- २९ मार्च २०२५ से ३१ मई २०३१ तक

ढैय्या १३ जुलाई २०३४ से २७ अगस्त २०३६ तक

   – १२ दिसंबर २०४३ से ८ दिसंबर २०४६ तक

 वृषभ राशि

साढ़ेसाती- ३ जून २०२७ से १३ जुलाई २०३४ तक

ढैय्या २७ अगस्त २०३७ से २२ अक्टूबर २०३८ तक

मिथुन राशि 

साढ़ेसाती- ८ अगस्त २०२९ से २७ अगस्त २०३७ तक

ढैय्या-      २४ जनवरी २०२० से २९ अप्रैल २०२२ तक

             २२ अक्टूबर २०३८ से २९ जनवरी २०४१ तक

कर्क राशि 

साढेसाती- ३१ मई २०३२ से २२ अक्टूबर २०३८ तक

ढैय्या-    – २९ अप्रैल २०२२ – २९ मार्च २०२५ तक

           – २९ जनवरी २०४१ से १२ दिसंबर २०४३ तक

सिंह राशि

साढ़ेसाती- १३ जुलाई २०३४ से २९ जनवरी २०४१ तक

ढैय्या- २९ मार्च २०२५ से ३ जून २०२७ तक

       -२२ दिसंबर २०४३ से ८ दिसंबर २०४६ तक

कन्या राशि

साढ़ेसाती- ३७ अगस्त २०३७ से १२ दिसंबर २०४३ तक

ढैय्या- ३ जून २०२७ से ८ अगस्त २०२९ तक

तुला राशि 

साढ़ेसाती- २२ अक्टूबर २०३८ से ८ दिसंबर २०४६ तक

ढैय्या- २४ जनवरी २०२० से २९ अप्रैल २०२२ तक

      ८ अगस्त २०२९ से ३१ मई २०२० तक

वृश्चिक राशि 

साढ़ेसाती- २८ जनवरी २०४१ से ३ दिसंबर २०४९ तक

ढैय्या- २९ अप्रैल २०२२ से २९ मार्च २०२५ तक

   – ३१ मई २०३२ से १३ जुलाई २०३४ तक

धनु राशि  

साढ़ेसाती-  १२ दिसंबर २०४३ से ३ दिसंबर २०४९ तक

ढैय्या- २९ मार्च २०२५ से ३ जून २०२७ तक

   १३ जुलाई २०३४ से २७ अगस्त २०३६ तक

मकर राशि

साढ़ेसाती- २६ जनवरी २०१७ से २९ मार्च २०२५ तक

ढैय्या- ३ जून २०२७ से ८ अगस्त २०२७ तक

   २७ अगस्त ३०३६ से २२ अक्टूबर ३०३८ तक

कुंभ राशि  

साढ़ेसाती- २४ जनवरी २०२० से ३ जून २०२७ तक

ढैय्या ८ अगस्त २०२९ से ३१ मई २०३२ तक

  २२ अक्टूबर २०३८ से २९ जनवरी २०४१ तक

मीन राशि 

साढ़ेसाती- २९ अप्रैल २०२२ से ८ अगस्त २०२९ तक

ढैय्या ३१ मई २०३२ से १३ जुलाई २०३४ तक

        -२९ जनवरी २०४१ से १२ दिसंबर २०४३ तक

शनि देवता की शुभता के लिए उपाय 

जब भी शनि देव नकारात्मक फल प्रदान करते हो तो उनके पूजन, दान, जप, उपाय करने का विधान है।

शनि देव के इन मन्त्रों का एक माल जप करने से शनि देव के कष्टों से लाभ प्राप्त होगा।

१.ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:

२.ॐ शं शनैश्चराय नम: 

शनि देव आध्यात्म, योग के कारक है इसलिए योगासन, मेडिटेशन से शनिदेव की शुभता बढ़ेगी।

प्रत्येक शनिवार को संध्या समय में पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनिदेव शुभ फल देते है।

दशरथ कृत शनि स्तोत्र ” का पाठ करना।

जरूरतमंदों की मदद करने से।

जिन लोगों को शनि की पीड़ा का ज्यादा फल भोगना पड़ता है उन्हें पारद शिवलिंग की आराधना करना चाहिए।

दिव्याकान्ति लोकनार

AstroTips Team

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *