" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
Pt Deepak Dubey

लग्न में शुक्र का प्रभाव

शुक्र को शुभ ग्रहमाना गया है तथा लग्नस्थ शुक्र जन्म कुंडली के अनेक दोषों को समाप्त करता है. लग्नस्थ शुक्र जातक को सौभाग्यशाली, विनम्र, विद्वान् तथा प्रभावशाली वाणी देता है. लग्नस्थ शुक्र जातक को कलात्मक रूचि देता है. शुक्र लग्न में होने से जातक प्रतिभाशाली कलाकार होता है. वह ललित कलाओं या हस्तशिल्प का ज्ञाता होता है.

लग्न में शुक्र जातक सौन्दर्य प्रेमी होता है , सजना सवर्ण एवं आकर्षक दिखना ऐसे जातकों की निशानी है. ऐसा जातक स्वयं भी आकर्षक, गौर वर्ण और सुगठित देह वाला होता है. सभी से मित्रवत व्यवहार बनाये रखना इनकी विशेषता है और कभी कभी सामाजिक दायित्वों के लिए अपनी हानि तक करा बैठते हैं. ऐसे जातक अपना अधिक्त्रार समय गुणीजनों के साथ बिताना पसंद करते हैं. तथा धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में में धन खर्च करके प्रसन्न होते हैं.

जातक स्वभाव से प्रसन्नचित, मनमोहक एवं संवेदनशील होता है.  लग्नेश शुक्र के जातक को मिलने से चित्त प्रण होता है. शुक्र का लग्न में बैठना धन , वैभव , सुख समृद्धि के साथ साथ आयु और स्वस्थ्य भी बढ़ता है.

लग्नस्थ शुक्र का जातक स्वभाव से दयालु, स्नेही एवं दूसरों से सहानुभूति रखने वाला होता है यदि शुक्र पाप ग्रहों के प्रभाव में हो तो जातक अनैतिक सम्बन्ध भी बनता है. आलस्य और परिश्रम न करना दूषित शुक्र की निशानी है.

शुभ गृह से दृष्ट होने पर शुक्र जातक को स्त्री सुख के साथ साथ धन, वैभव, वाहन, आभूषण, मान सम्मान , निष्ठावान मित्र सभी सुख देता है.

लग्न में शुक्र के साथ राहु की युति जातक को मंदबुद्धि या मुर्ख बनाती है.

नीच राशि  का शुक्र जातक को चोरी एवं धोखा देने में प्रवीण बनता है.

लग्नस्थ शुक्र पर पाप गृह का प्रभाव जातक को भोगी और विलासी बनाता है. ऐसे जातक छल कपट से अनैतिक समबन्ध बनाते हैं तथा झूठ एवं ठगी में माहिर होते हैं.

स्वग्रही शुक्र राज योग देता है .

यदि शुक्र अष्टम एवं द्वादश का स्वामी होकर लग्न में हो तो पुनर्विवाह का योग बनता है.

शुक्र पर मंगल की दृष्टि विवाह में विलम्ब कराती है. मंगल व् शनि दोनों की ही शुक्र पर दृष्टि हो तो पत्नी से वैचारिक्ल मतभेद की संभावना बनती है.

अग्नितत्व (मेष , सिंह, धनु) का शुक्र लग्न में हो तो विवाह में विलम्ब होता है परन्तु पत्नी स्नेही तथा सहयोग पूर्ण व्यवहार वाली होती है.

भू तत्व का शुक्र

वृषभ राशी का शुक्र अत्यधिक कामुक , सुरा एवं सुंदरियों का प्रेमी, तथा अनैतिक यौन संबंधों में लिप्त पाया जाता है. कन्या राशि का शुक्र जातक को शुद्ध एवं पवित्र बनाता है परन्तु केवल भौतिक रूप से मानसिक रूप से ऐसे जातक प्रायः भ्रष्ट एवं दुराचारी और नशे के प्रेमी होते हैं. मकर लग्न का शुक्र जातक को सामान्य कन्या से विवाह की प्रेरणा देता है और एक सफल वैवाहिक जीवन जीता है. ऐसा जातक शर्मीले स्वभाव का होता है.

वायु तत्व (मिथुन, तुला, कुम्भ) : ऐसा जातक सुंदर एवं सुशील पत्नी के होते हुए भी पराई स्त्रियों में रूचि रखता है.

जल तत्व: (कर्क, वृश्चिक, मीन) ऐसा जातक सौभाग्यशाली पत्नी पाता है और विवाह उपरान्त उसका भाग्योदय होता है.  जल तत्व राशि का शुक्र जातक को बच्चों में लोकप्रिय बनाता है.


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