" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
Pt Deepak Dubey

Lagna/Ascendant /लग्न 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार समय विशेष  के माप को लग्न कहा गया है. इसकी अवधि लगभग दो घंटे की होती है. इसे जन्म कुंडली या लग्न कुंडली  भी कहा जाता है. आकाश में दिखने वाली बारह राशियाँ ही बारह लग्न हैं. जन्म कुंडली के प्रथम भाव को ही लग्न भाव या लग्न कहा जाता है.

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दिन और रात मिलाकर 60 घटी के होते हैं तथा इनमे 12 लग्न होती हैं. इस प्रकार प्रत्येक लग्न ढाई घंटे की  होती है. सही लग्न जानने के लिए जन्म स्थान , जन्म समय एवं जन्म तारीख अत्यंत महतवपूर्ण एवं अनिवार्य है.

आईये देखें विभिन्न लग्नो की विशेषताएं :

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मेष: मेष राशि प्रथम राशि है और काल पुरुष की कुंडली में इसे पहला स्थान प्राप्त है. मेष लग्न के जातक शारीरिक रूप से कुछ गोलाई लिए हुए होते हैं. त्वचा की रंगत में थोड़ी लालिमा या नेत्रों में चमक होती है. अधिकांशतः देखा गया है कि मेष लग्न में जन्मे जातक अपनी उम्र से कम नज़र आते हैं.  मेष लग्न के जातक स्वभाव से दबंग,  उग्र परन्तु शीघ्र ही दूसरों पर प्रसन्न हो जाते हैं. प्रकृति से भ्रमण शील परन्तु घुटनों से रोग ग्रस्त होते हैं.  आप अत्यधिक क्रोधी तथा अपना कार्य चतुरता से निकलवाने में निपुण होते हैं. किसी भी विषय पर वाद-विवाद करने से आप नहीं हिचकिचाते हैं.….. और पढ़ें

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वृषभ: वृषभ राशि को काल पुरुष की कुंडली में दूसरा स्थान प्राप्त है और इसका स्वामी ग्रह शुक्र है. लग्न स्वामी शुक्र होने के कारण वृषभ लग्न के जातक प्रायः गौरवर्ण एवं दिखने में आकर्षक और सुंदर  होते हैं. शारीरिक रूप से पुष्ट, मस्त चाल एवं मज़बूत कद काठी के स्वामी होते हैं. वृषभ लग्न के जातक स्वाभिमानी एवं स्वछन्द विचारो वाले होते हैं. शीतल स्वभाव इनकी विशेषता कही जा सकती है. स्वाभाव से दयालु एवं सहनशील होते हैं वृषभ लग्न के जातक …….और पढ़ें

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मिथुन: मिथुन राशि को काल पुरुष की कुंडली में तीसरा स्थान प्राप्त है और इसका स्वामी ग्रह है बुध. मिथुन बुध की स्वराशी है तथा बुध वाणी एवं बुद्धि का कारक माना गया है अतः मिथुन लग्न में जन्मे जातकों का बुद्धिमान एवं वाक्पटु होना स्वाभाविक माना गया है. ऐसे जातक अधिक बात करने वाले एवं लच्छेदार भाषण देने में पटु होते हैं. अपनी इन्ही विशेषताओं के कारण मिथुन लग्न के पुरुष  स्त्रियों के विशेष आकर्षण का केंद्र होते  हैं. सेक्स के प्रति विशेष रुझान के कारण आप स्त्रियों को संतुष्ट करने में सक्षम होते हैं . दुसरे के हाव भाव को ताड़ने में आपकी विशेष रूचि होती है.….और पढ़ें 

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कर्क: कर्क राशि को काल पुरुष की कुंडली में चौथा स्थान प्राप्त है और इसका स्वामी ग्रह चंद्रमा है. कर्क लग्न का स्वामी “चन्द्रमा ” एक शीतल सौम्य यावं शुभ ग्रह है . चन्द्रमा का सबसे अधिक असर किसी भी जातक की मनः स्तिथि पर देखा गया है. अतः कर्क लग्न के जातक अत्यधिक भावुक परन्तु न्यायप्रिय होते हैं. इस लग्न में जन्मे व्यक्ति गौर वर्ण तथा कोमल शारीरिक गठन के होते हैं. दूसरों के प्रति दया व प्रेम की भावना तथा जीवन में निरंतर आगे बढ़ने की तीव्र लालसा इनकी निजी विशेषता है. कर्क लग्न में जन्मे जातकों की मानसिक शक्ति गजब की होती है…..और पढ़ें 

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सिंह: काल पुरुष की कुंडली में सिंह राशि को पांचवा स्थान प्राप्त है, इसका स्वामी ग्रह सूर्य है.सिंह लग्न का स्वामी सूर्य है. सूर्य सभी ग्रहों का राजा होने के साथ साथ एक तेजस्वी, ओजयुक्त पौरुष का प्रतिनिधित्व करता है. सिंह लग्न में जन्मे जातक निर्भीक, उदार व अभिमानी होते हैं. स्वभाव से दृढ़,साहसी एवं धैर्यशील होते हैं.सूर्य आत्म्कारक ग्रह है अतः सूर्य को आत्म विशवास का कारक माना गया है इसीलिए सिंह लग्न के जातकों में आत्मविश्वास की कभी कमी नहीं होती है….आगे पढ़ें

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कन्या : कन्या राशि को काल पुरुष की कुंडली में छठा स्थान प्राप्त है , इसका स्वामी ग्रह बुध है . कन्या लग्न में जन्मा जातक मझोले कद और समान्यतः भरे हुए चेहरे वाला होता है. नेत्र काले और घुंघराले बाल इनकी पहचान होती है. कन्या लग्न के जातकों में स्त्री स्वभाव की झलक साफ़ दिखाई देती है.  कन्या राशि में यदि चन्द्रमा हो तो मनुष्य में स्त्रियों के हाव भाव आना स्वाभाविक है.लज्जा, संकोच युक्त दृष्टि एवं झुके हुए कंधे एवं लटकी हुई भुजाएं ऐसे मनुष्य के लक्षण होते हैं….आगे पढ़ें

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तुला: तुला राशि को काल पुरुष की कुंडली में सातवाँ स्थान प्राप्त है , तुला लग्न का स्वामी शुक्र है अतः तुला लग्न में जन्मा जातक  विलासी एवं ऐश्वर्यशाली जीवन का शौक़ीन होगा. मध्यम कद, गौर वर्ण तथा सुन्दर आकर्षक चेहरा  इस लग्न में जन्मे जातक के लक्षण हैं. इस लग्न में जन्मे जातक विचारशील तथा ज्ञान प्रिय  होते हैं. इस लग्न के जातकों में संतुलन की शक्ति असाधारण होती है. अच्छे बुरे की पहचान आपसे अधिक और कोई नहीं कर सकता…. आगे पढ़ें

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वृश्चिक: वृश्चिक राशि को काल पुरुष की कुंडली में आठवां स्थान प्राप्त है . वृश्चिक लग्न का स्वामी मंगल है अतः इस लग्न में जन्मे जातक में क्रोध की अधिकता रहती है. मंगल के प्रभाव के कारण इस लग्न में जन्मा जातक दबंग , हठी एवं स्पष्टवादी होता है. अपनी बात को सदा निभाने वाला तथा बिना परवाह किये अपने सम्मान के लिए लड़ जाना वृश्चिक लग्न के जातकों की पहचान है. इस लग्न में उत्पन्न जातक सामान्यतः स्वस्थ एवं बलवान होता है….और पढ़े

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धनु: काल पुरुष की कुंडली में धनु राशि को नवम स्थान प्राप्त है. धनु लग्न के स्वामी बृहस्पति  हैं जो देवताओं के गुरु माने गये हैं. बृहस्पति के प्रभाव के कारण धनु लग्न में जन्मे जातक धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं.  अधिकारप्रिय, करुणामय और मर्यादापूर्वक व्यवहार इनका स्वभाव है. इस लग्न में जन्मे जातक गेहुएं रंग , विशाल नेत्र ओर उन्नत ललाट वाले बुद्धिजीवी होते हैं. धनु राशि में जन्में जातक बड़े  कद के और सुगठित देह वाले होते हैं। इनके चेहरे की बनावट को देखकर लगता है मानो किसी कलाकार ने कोई कलाकृति बनाई हो। इनकी नासिका का अगला भाग  नुकीला तथा गर्दन लम्बी होती है।  और पढ़ें …..

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मकर: मकर राशि को काल पुरुष की कुंडली में दसवां स्थान प्राप्त है . इसका स्वामी ग्रह शनि है . मकर लग्न में जन्में जातक शरीर से पतले, मध्यम कद, पैनी आंखें, नाक चपटी के और प्रायः श्यामवर्ण और फुर्तीले हुआ करते हैं। इनके शरीर का गठन सुव्यवस्थित नहीं होता। प्रायः इनके शरीर का कोई अवयव अनुपात में कम या अधिक हेाता है। मकर लग्न वाले व्यक्ति प्रायः उग्र स्वभाव के होते हैं.  इनके स्वभाव में उत्साह के साथ-साथ झगडालू प्रकृति भी होती है। क्रोध आता भी धीरे- धीरे आता है व शांत भी देरी से होता है।स्तिथियों के अनुरूप अपने स्वभाव को ढालना आपको बहुत अच्छे से आता है.  आप बहुत ही परिश्रमशील व उद्यमी व्यक्ति है तथा हिम्मत हारना व निराश होना आपके स्वभाव में नहीं है. मकरलग्न में उत्पन्न जातक शांत तथा उदार स्वभाव  के व्यक्ति होते हैं और पढ़े …..

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कुम्भ: कुम्भ राशि को काल पुरुष की कुंडली में ग्यारहवां स्थान प्राप्त है . इसका स्वामी ग्रह शनि है . शनि काले रंग का पाप ग्रह है । कुम्भ राशि का चिन्ह जल से भरा घड़ा  है। अतः इस राशि वाले पुरूष की आकृति घड़े के समान गोल व वाणी घड़े के समान गम्भीर व गहरी होती है। ऐसे व्यक्ति प्रायः बाहरी दिखावे में ज्यादा विश्वास रखते हैं। ये भीतर से खोखले व बाहरी दिखावे में सुन्दर दिखलाई पड़ते हैं। कुम्भ राशि वाला व्यक्ति का प्रायः मध्यम कद , गेहुए वर्ण, गोल सिर,  दीर्घकाय, तोंद-युक्त, गम्भीर वाणी बोलने वाला व्यक्ति होता है। यह राशि पुरूष जाति, स्थिर संज्ञक व वायु तत्व प्रधान होती है इसलिए कुम्भ  राशि वाले पुरूष का प्राकृतिक स्वभाव विचारशील, शांत चित्त, धर्मभीरू तथा नवीन आविष्कारों का जन्मदाता है। और पढ़ें …

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मीन: काल पुरुष की कुंडली में मीन राशि को अंतिम अर्थात बारहवां स्थान प्राप्त है . मीनलग्न के स्वामी बृहस्पति है। बृहस्पति देवताओं के गुरू माने जाते हैं। ऐसे व्यक्ति, गौरवर्ग, कायन देह, मछली के समान आकर्षक व सुन्दर आँखों वाले होते हैं .इनके बाल घुंगराले एवं नाक ऊंची होती है। इनके दांत छोटे एवं पैने होते हैं.  मीन लग्न में जन्मे व्यक्ति धार्मिक बुद्धि से ओतप्रोत, मेहमान प्रिय, सामाजिक अच्छाईयों व नियमों का पालन करने वाले होते है। ऐसे जातक आस्तिक एवं ईश्वर के प्रति श्रद्धावान होते हैं तथा सामाजिक रूढ़ियों का कट्टरता से पालन करते हैं। आप कूटनीति, रणनीति व षडयंत्रकारी मामलों में एक कभी रूचि नहीं लेते……. और पढ़ें


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