बृहस्पति तुला राशि में/बृहस्पति का राशि परिवर्तन/ गुरु का राशि परिवर्तन 2017
गुरु का राशि परिवर्तन कन्या राशि से तुला राशि में 12 सितम्बर (मंगलवार), 2017 को हुआ था . समय:7:58
गुरु का अगला राशि परिवर्तन होगा 11 अक्टूबर 2018 में . तब तक गुरु तुला राशि में ही रहेंगे.
विशेष: गुरु के राशि परिवर्तन के होने वाले यह परिणाम अत्यंत सामान्य आधार पर हैं , साथ ही यह राशिफल मैंने लग्नराशि के आधार पर दिया है चन्द्र राशि या सूर्य राशि के आधार पर नहीं . पाठकों से अनुरोध है कि किसी विशेष परिस्थिति में अपनी कुंडली की जाँच कराकर ही किसी निश्चित निष्कर्ष पर पहुंचे .
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मेष : गुरु आपके सप्तम भाव में आएगा . गुरु की यह स्थिति ‘कुल दीपक’ योग एवं ‘केसरी’ योग बनाएगी .इस समय आपको साझेदारी के कार्यों से लाभ होगा. धन की स्थिति बेहतर होगी. मान सम्मान में वृद्धि तथा दान पुण्य के कार्यों में आप बढ़ चढ़ का भाग लेंगे. आपकी रूचि तंत्र मन्त्र ज्योतिष जैसे ज्ञान में बढ़ेगी. धार्मिक कार्यों से जुड़ेंगे. आपके पिता की परदेस यात्रा संभव है. इस समय ज्ञान बढेगा. यदि इस समय विवाह होता है तो भाग्योदय होगा. सप्तम भाव में बैठे गुरु की दृष्टि लाभ स्थान, लग्न एवं पराक्रम भाव पर होगी. अतः इस समय आपको जीवन साथी और ससुराल पक्ष से लाभ होगा. व्यक्तित्व का चहुंमुखी विकास और व्यापार व्यवसाय से लाभ मिलेगा. भाई बहनों से सम्बन्ध अच्छे रहेंगे.
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वृष : गुरु का प्रवेश आपके छठे भाव में होगा. गुरु की यह स्थिति ‘लाभ भंग’ योग बनाएगी परन्तु अष्टम भाव के स्वामी का छठे में जाना आपके लिए लाभदायी रहेगा. इससे ‘सरल’ योग बनेगा . आप अपने ननिहाल पक्ष को सुख देने में सामर्थ होंगे. इस समय कामोत्तेजना बहुत बढ़ेगी अतः नए रिश्ते बनाने से बचें . गुप्त शत्रुओं की गिनती बढेगी. छठे भाव में बैठे गुरु की दृष्टि दशम भाव , द्वादश भाव एवं धन भाव पर होगी फलतः सरकार से जुड़े कार्यों से लाभान्वित होंगे. किसी तीर्थ स्थल की यात्रा कर सकते हैं. इस समय आप सामाजिक व धार्मिक कार्यों द्वारा धन अर्जित कर सकते हैं.
मिथुन : गुरु आपके पंचम भाव में आएगा. इस समय विद्या एवं ज्ञान में वृद्धि होगी. पूर्ण गृहस्थ सुख मिलेगा. मान सम्मान में वृद्धि होगी. आपके परामर्श से बहुत लोगों को लाभ मिलेगा. पुत्र की प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी. पंचम भाव में बैठे गुरु की दृष्टि भाग्य भवन, लाभ स्थान और लग्न स्थान पर होगी फलतः आपको अपने परिश्रम का उचित फल मिलेगा. इस समय भाग्य का पूर्ण साथ मिलेगा. व्यापार व्यवसाय से लाभ प्राप्त होगा. सब कुछ होते हुए भी व्यवसाय – नौकरी तथा संतान पक्ष से असंतोष रहेगा.
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कर्क: गुरु आपके चतुर्थं भाव में आएगा अतः शिक्षा के क्षेत्र से सभी रुकावटें दूर होंगी . गुरु के केंद्र में आने के कारण केसरी योग बनेगा. जो आपकी आर्थिक स्थिति को मज़बूत बनाएगा. माता का उत्तम सुख मिलेगा. मकान एवं वाहन का सुख मिलेगा. आप अपने परिवार का नाम दीपक के समान रोशन करेंगे . इस समय आपको सभी का स्नेह एवं प्रेम मिलेगा. ननिहाल पक्ष में समृद्धि बढेगी.
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सिंह : गुरु आपके तृतीय भाव में प्रवेश करेगा. जो आपकी धन और प्रतिष्ठा को तो बढ़ाएगा ही साथ ही व्यक्तित्व को और अधिक आकर्षक बनाएगा. आपको अपने भाई बहनों एवं पिता का पूर्ण सुख मिलेगा. गुरु की दृष्टि सप्तम भाव , भाग्य भाव एवं एकादश भाव पर होने के कारण आपको पूर्ण गृहस्थ सुख मिलेगा. व्यापार में लाभ मिलेगा. इस समय भाग्य का साथ रहेगा एवं आप न्याय के मार्ग पर चलेंगे.
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कन्या : गुरु आपके द्वितीय भाव में प्रवेश करेगा फलस्वरूप शिक्षा के क्षेत्र में सफलता एवं पद प्रतिष्ठा की प्राप्ति होगी. यदि आप कवि, लेखक ज्योतिष अथवा वैज्ञानिक हैं तो अपने कार्यों से धन एवं यश की प्राप्ति करेंगे. व्यवहार सौम्य रहेगा सभी का भला एवं परोपकार चाहने वाली प्रवृत्ति होगी. गुरु की दृष्टि छठे भाव , अष्टम भाव एवं दशम भाव पर होगी अतः पुराने चले आ रहे कर्जों से मुक्ति मिलेगी. रोग एवं शत्रुओं से छुटकारा मिलेगा.
तुला: लग्न में गुरु के आने के कारण ‘केसरी’ योग एवं ‘कुलदीपक’ योग का सृजन होगा. आप अपने कार्यों द्वारा कुल खानदान का नाम रोशन करेंगे. धर्म न्याय एवं नैतिक आचरण अपनाएंगे. अटके हुए कार्य पूर्ण होंगे. लगन्स्थ गुरु की दृष्टि पंचम भाव , सप्तम भाव एवं नवम भाव पर होने के कारण स्वास्थ्य बेहतर होगा. स्त्री एवं संतान सुख की प्राप्ति होगी.
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वृश्चिक : गुरु आपके द्वादश भाव में अर्थात अपनी शत्रु राशि में होगा. गुरु की यह स्थिति आपकी कुंडली में ‘धन हीन’ योग एवं ‘संतान हीन’ योग बनाएगी. शिक्षा के क्षेत्र में अवरोधों का सामना करना पड़ेगा. सफलता के लिए अधिक एवं निरंतर प्रयास की आवश्यकता रहेगी. आय में निरंतरता नहीं रहेगी. धन प्राप्ति के लिए अधिक संघर्ष करना पड़ेगा. संतान के लिए या संतान से परेशानी उठानी पड़ सकती है. द्वादश भावगत गुरु की दृष्टि चतुर्थ भाव , छठे भाव एवं अष्टम भाव पर पड़ने के कारण भौतिक सुखों में वृद्धि होगी परन्तु ऋण रोग और शत्रु से परेशानी होगी.
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धनु : गुरु आपके एकादश भाव में अर्थात तुला राशि में होगा जो कि गुरु की शत्रु राशि है. गुरु की इस स्थिति के कारण जीवन में सभी प्रकार की सुख सुविधाएं बढेंगी. समाज में मान सम्मान की वृद्धि होगी. वाहन , भवन नौकर चाकर का भरपूर सुख मिलेगा. व्यापार के लिए गुरु की यह स्थिति अति शुभ है. एकादश भाव गत गुरु की दृष्टि पराक्रम भाव , संतान भाव एवं सप्तम भाव पर होगी अतः जीवन साथी , संतान का पूर्ण सुख मिलेगा.
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मकर : गुरु आपके दशम भाव अर्थात तुला राशि में होगा जो कि गुरु की शत्रु राशि है. गुरु की यह स्थिति आपको पिता , भाई पत्नी एवं संतान का पूर्ण सुख देगी. दशम भाव का गुरु आपके पराक्रम को बढ़ाएगा. व्यापार व्यवसाय में उन्नति मिलेगी. राजनीति से जुड़े जातकों का प्रभाव बढेगा. दशम भाव में बैठे गुरु की दृष्टि धन स्थान, चतुर्थ स्थान एवं छठे स्थान पर रहेगी अतः धन एवं भौतिक सुखों में वृद्धि होगी. निजी भवन के योग प्रबल बनेंगे तथा शत्रु परास्त होंगे.
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कुम्भ : गुरु आपके नवम भाव में अर्थात तुला राशि में आएगा जो कि गुरु की शत्रु राशि है. गुरु की यह स्थिति आपके पिता और आपके भाग्य की वृद्धि करेगी. पद प्रतिष्ठा में भी वृद्धि के योग बनेंगे. आप अपने सिद्धांतों और न्याय के पथ पर ही चलेंगे .पारिवारिक सुख , संतान , विद्या , बुद्धि , पद प्रतिष्ठा की प्राप्ति सहजता से होगी. नवम भाव में बैठे गुरु की दृष्टि लग्न भाव, पराक्रम भाव एवं पंचम भाव पर होगी. अतः इस समय आप अपनी मेहनत से धन कमायेंगे. आपके भाई बहन भी सुखी एवं समृद्ध होंगे. आपकी संतान के भाग्य में वृद्धि होगी.
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मीन: गुरु आपके अष्टम भाव में आएगा जो कि गुरु की शत्रु राशि है. गुरु की यह स्थितिलग्न भंग योग एवं राजभंग योग बनाएगी .आपके स्वास्थ्य में उतार चढ़ाव होता रहेगा. अपने द्वारा किये गये परिश्रम का पूर्ण फल नहीं मिल पायेगा. यही स्थिति नौकरी और व्यापार में भी रहेगी. गुरु की यह स्थिति राजनैतिक क्षेत्र से जुड़े हुए जातकों के लिए लाभकारी नहीं है. शिक्षा में रुकावट तथा वैवाहिक जीवन में कलह की संभावना बनेगी. अष्टम भाव में बैठे गुरु की दृष्टि व्यय भाव, धन भाव एवं चतुर्थ भाव पर होगी. अतः इस समय आपका व्यय बढेगा और अधिकतर धन किसी बिमारी पर खर्च होगा. भौतिक सुख सुविधाओं के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ेगा.
गुरु सम्बंधित उपचार :
ॐ नमः शिवाय
शुभम भवतु !
ज्योतिषविद पं. दीपक दूबे <View Profile>