" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
Pt Deepak Dubey

जाने नवरात्र से सम्बंधित देवी, ध्यान मंत्र, रंग और ग्रह शांति

(Navratri : Devi, Dhyan Mantra , Color & Grah Shanti)

माँ भगवती का आठवां स्वरुप 

माँ महागौरी

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माँ दुर्गा के आठवां  स्वरुप महा गौरी के नाम से जाना और पूजा जाता है.  मान्यतायों के अनुसार बाल्यकाल में आदिशक्ति ने भगवान् शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी जिसके कारण उनका शरीर काला पड़ गया था.  माँ पारवती की तपस्या से भगवान् शिव ने प्रसन्न होकर पवित्र गंगा जल से इनके शरीर को धोया. गंगा जल से धुलकर माँ का शरीर विद्युत् के समान गौर वर्ण का हो गया, अति गौर वर्ण के कारण ही उनका नाम महा गौरी पड़ा. इस दिन माँ के भक्त कन्याओं को माँ भगवती का स्वरुप मानकर उनकी बहुत श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं. माँ के आशीर्वाद से उनके भक्तो के असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं. संकट से मुक्ति एवं बुद्धि और धन-सम्पदा में वृद्धि होती है. इनका वाहन वृषभ है.

आठवें  नवरात्र के वस्त्रों का रंग एवं प्रसाद

नवरात्र के आठवें  दिन आप पूजा में गुलाबी  रंग के वस्त्रों का प्रयोग कर सकते हैं. यह दिन सूर्य से सम्बंधित  पूजा के लिए सर्वोत्तम है.

नवरात्रि के आठवें दिन माँ भगवती  को नारियल का भोग लगाएँ व नारियल का दान कर दें। इससे संतान संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

ध्यान

 

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥

स्तोत्र पाठ

 

सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

कवच

 

ओंकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजं मां, हृदयो।
क्लीं बीजं सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटं कर्णो हुं बीजं पातु महागौरी मां नेत्रं घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मा सर्ववदनो॥

नवरात्रों में किसी भी प्रकार के अनुष्ठान और पूजा का महत्व और परिणाम कई गुना अधिक बढ़ जाता है . नवरात्र के दौरान आप माँ भगवती के पूजन और दुर्गा सप्तसती के पाठ के अलावा निम्नलिखित ज्योतिषीय उपचार भी करा सकते है

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जय माता दी !

 पं. दीपक दूबे 

 


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